स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रकाश पांडे ने लिखी स्वरचित कविता

🙏🇮🇳जय हिंद, जय भारत 🇮🇳🌹
🇮🇳मेरे भारत की माटी को,
नमन करता हूँ मैं उठ कर,
बनूं माली इस बगिया का,
शपथ लेता हूँ मैं उठ कर,
मुकुट जिसका हिमालय है,
पखारे पाँव वह सागर,
मैं अपनी मातृ भूमि का,
भजन गाता हूँ नित उठ कर!🙏
🇮🇳जहाँ लगते हैं नित मेले,
जहाँ हर दिन दिवाली है,
बिखेरे रंग दुनियां में ,
तो लगता है कि होली है,
कहीं मंदिर कहीं मस्जिद,
गुरुद्वारे चर्च भी इसमें,
दिलों में प्रेम जन-जन के,
कथा इसकी निराली है!🙏

🇮🇳🌹प्रकाश पाण्डेय 🌹🙏
कनखल (हरिद्वार)