उत्तराखंड स्पीकर की भूमिका पर उठे सवाल

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल ने विधानसभा में 2016 के बाद वाले कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर कार्यवाही करने वाली स्पीकर रितु खंडूरी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है|


उन्होंने कहा कि वह निजी कारणों से विधानसभा में 2016 से पहले के बैकडोर भर्ती वालों को बचाने का कार्य कर रही है| उन्होंने कहां की उनके द्वारा हाईकोर्ट में काउंसलर फाइल कर खुद कबूलनामा किया है| इसके बाद भी 2016 से पहले वालों को बचाने के लिए उन्होंने आप अपनी साख तक दांव पर लगा दी है| समानता का अधिकार अनुच्छेद 16 यह स्पष्ट करता है कि राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामले में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता है| लेकिन 2001 से 2016 तक की नियुक्तियों को वैध और 2016 से आगे की नियुक्तियों को अवैध ठहरा कर सरकार ने समानता के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाई है| जबकि वर्ष 2016 में हुई नियुक्तियों को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने वैध बताया है|
सीधे तौर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी पर आरोप लग रहा है कि 2016 से पहले विधानसभा में अवैध रूप से भर्ती हुए कई कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी विधानसभा में नियुक्ति बीसी खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुई| इसमें तत्कालीन सीएम बीसी खंडूड़ी के पर्यटन सलाहकार की बेटी सहित कई हाईप्रोफाइल लोगों के परिजन सम्मिलित है|
दूसरा आरोपी है कि इस कार्यवाही को स्पीकर सत्य की जीत करार दे रही है वह एक अधूरा और झूठा सत्य है| खुद स्पीकर की ओर से बनाई डीके कोटिया समिति ने भी अपने रिपोर्ट के नंबर 12 में साफ किया है कि राज्य गठन के बाद से लेकर अभी तक की सभी भर्तियां अवैध है|