तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

शीतकाल के लिए तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के द्वार शनिवार दोपहर 12:00 बजे बंद कर दिए गए इस अवसर पर भक्तों ने भजन-कीर्तन तथा हर्षोल्लास के साथ भगवान तुंगनाथ मंदिर के द्वारों को बंद किया.

शनिवार की सुबह से ही भगवान तुंगनाथ मंदिर के द्वारों को बंद करने की प्रक्रिया की शुरुआत हो रही थी. परंपरा के अनुसार सुबह भगवान तुंगनाथ का अभिषेक किया गया और भगवान की पूजा अर्चना की गई उनका श्रृंगार करके मंदिर में भोग लगाया गया. स्वयंभू शिवलिंग को फूल, मेवे, फल, अक्षत व भस्म की समाधि देने के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के द्वार विधिविधान के साथ बंद किए गए तथा डोली के साथ मंदिर की परिक्रमा की गई, इसके बाद डोली भूतनाथ मंदिर से होकर चोपता की ओर गई.


इस अवसर पर लोगों ने भजन-कीर्तन के साथ भगवान की डोली को विदा किया. लगभग दोपहर 2:30 बजे उत्सव डोली पहले चरण चोपता में पहुंची जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया और आज डोली रात्रिविश्राम के लिए भनकुन पहुंचेगी.


1 नवंबर को डोली अपने शीतकालीन निवास मक्कूमठ पहुंचेगी, अगले 6 महीने तक यहीं पर लोग भगवान की पूजा अर्चना करेंगे. द्वार बंद होने के अवसर पर लोगों ने भजन कीर्तन के साथ अन्य कार्यक्रमों को भी प्रस्तुत किया. इस अवसर पर विशेष अधिकारी राकेश सेमवाल, प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित, प्रबंधक बलवीर नेगी तथा अन्य लोग शामिल थे. जिन्होंने इस कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया.

Recent Posts