सरकार ने कुछ ही दिन पहले शीतकालीन सत्र को लेकर घोषणा की है कि इस बार के शीतकालीन सत्र का आयोजन गैरसैंण में नहीं बल्कि देहरादून में किया जाएगा। इस पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए हैं। रानीखेत विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी का कहना है कि शीतकालीन सत्र देहरादून में ना हो करके गैरसैंण में होना चाहिए था।
उनका कहना है कि मंत्रिमंडल के फैसले के बाद भी सरकार गैरसैंण में शीतकालीन सत्र ना कराकर पहाड़ों का विरोध कर रही है सरकार का यह कार्य उनकी पहाड़ विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि सरकार को राज्य में दो राजधानी की अवधारणा खत्म ही कर देनी चाहिए। तथा सरकार को देवस्थनाम बोर्ड की तरह एक और बड़ा फैसला करके गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी घोषित कर देनी चाहिए।