चिंताजनक -: तेजी से निर्माण कार्यों के चलते खत्म हो रहे जुगनू, देशभर में संख्या का पता लगाने के लिए हो रहा सर्वेक्षण

दुनियाभर में तेजी से निर्माण कार्यों के चलते जुगनू की संख्या कम होती जा रही है| इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान एक अन्य संस्था के साथ मिलकर देशभर में जुगनू की संख्या का पता लगा रहा है|


संस्थाओं के वैज्ञानिकों के मुताबिक, दुनियाभर में जुगनू की लगभग 2200 प्रजातियां है, जबकि कई अन्य खोजी जानी है|
लोगों को इनके प्रति जागरूक करने एवं इन पर अध्ययन को प्रोत्साहित करने के लिए इनकी संख्या का पता लगाया जा रहा है|
वैज्ञानिकों के अनुसार, जुगनू एक स्वस्थ पर्यावरण के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं| इनकी उपस्थिति अच्छी मिट्टी की संरचना, पानी की गुणवत्ता आदि का संकेत देती है| साथ ही जुगनू बगीचे के कीटों जैसे स्लग,‌ घोंघे और अन्य छोटे जीवों के संभावित शिकारी हैं और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में विशेष योगदान देते हैं| इनका जीवन चक्र मात्र 1 से 2 साल का होता है| जो पत्तियों और मिट्टी पर अंडे देते हैं| इनके अंडे 3 से 4 सप्ताह में लार्वा में बदल जाते हैं| लार्वा आमतौर पर पत्तियों और नम मिट्टी के नीचे रहना पसंद करते हैं| लेकिन अब दुनिया में सीमेंट के पक्के निर्माण कार्य की वजह से जमीन घटती जा रही है| जिससे जुगनू धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं|
बता दें जुलाई 2021 से अब तक इन पर दो सर्वेक्षण हो गए हैं| इस साल इस सप्ताह में तीसरा सर्वेक्षण चल रहा है| इसमें लोगों से भी सहयोग लिया जा रहा है| इसी के तहत दून घाटी के जुगनू की विविधता और उनकी आबादी पर मानव जनित दबाव के प्रभाव का भी आकलन किया जा रहा है|
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि जुगनू में अंडे से लेकर वयस्क तक सभी अवस्थाओं में चमकने की क्षमता होती है| यह रोशनी देने वाला गुण उनके पेट में एंजाइम-सब्सट्रेट कंपलेक्स यानी लूनिफेरेज-ल्यूसिफेरिन की उपस्थिति के कारण होता है|