
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में अब किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना किसी कागजी कार्यवाही के मिल पाएगा। इसके लिए किसानों का डाटाबेस तैयार करना होगा और प्रत्येक किसान को विशिष्ट पहचान यानी कि यूनिक आईडी दी जाएगी। इस मामले में राज्य के अधिकारियों को केंद्र सरकार के चीफ नॉलेज ऑफिसर राजीव चावला द्वारा निर्देश दिए गए हैं। राजीव चावला की अध्यक्षता में की गई बैठक के दौरान किसानों के भू- अभिलेख के विषय में विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से विकसित एग्रीटेक पोर्टल के बारे में राजीव चावला ने जानकारी दी।उन्होंने बताया कि एग्री स्टैक पोर्टल के तीन प्रमुख स्तंभ किसान डेटाबेस, भू- संदर्भित ग्राम मानचित्र और फसल सर्वे डाटा है और उत्तराखंड के किसानों का अलग से डेटाबेस नहीं है।यहां पर किसानों का डाटा ऑनलाइन पीएम किसान पोर्टल पर ही उपलब्ध है तथा पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत सभी पात्र लाभार्थियों का डाटा विभागीय डेटाबेस में एकत्रित किया जाएगा। जो कि कुल किसानों का 80 से 85% होगा।
इस बैठक के दौरान यह भी बताया गया कि राज्य में ग्रामों के मानचित्रो को ऑनलाइन कराने के लिए राजस्व विभाग निविदा भी कर चुका है तथा सबसे पहले इस क्रम में अल्मोड़ा और पौड़ी के मानचित्र को ऑनलाइन किया जाएगा तथा आने वाले 2 वर्षों के दौरान बाकी जिलों के मानचित्र भी ऑनलाइन हो जाएंगे। बता दें कि कृषि विभाग की ओर से फसल सर्वे डाटा के लिए देहरादून व चंपावत जिलों का प्रस्ताव आमंत्रित करने की प्रक्रिया चल रही है। उत्तराखंड के देहरादून व चंपावत जिलों में भू- राजस्व डाटा प्रोफाइलिंग के डाटा को उपयोग में लाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से विभिन्न विभागीय डैशबोर्ड तैयार किए जाएंगे। इस संबंध में राजीव चावला द्वारा राजस्व परिषद को किसान डाटाबेस और भू संदर्भित ग्राम मानचित्र पर तुरंत कार्यवाही करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
