
नैनीताल| विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने विधानसभा में नियुक्तियों की जांच के लिए कमेटी बना दी है| जिसके बाद 2016 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यालय में 158 नियुक्तियां जांच के दायरे में आ गई है|
बताते चलें कि नैनीताल हाईकोर्ट में भी इन नियुक्तियों के विरुद्ध बागेश्वर के राजेश चंदोला ने जनहित याचिका दायर की थी|
तब नियुक्तियों में जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र से 32 नियुक्तियां हुई थी| आरोप लगाया गया कि नियमावली का उल्लंघन कर बिना विज्ञप्ति के और केवल प्रार्थना पत्र लगाकर चाहेतों को नियुक्ति दे दी गई|
संविधान के अनुच्छेद 226 के हैसियत के अधिकार के तहत हाईकोर्ट ने कहा कि, स्पीकर को नियमावली में नियुक्ति की शक्ति प्राप्त है| इस मामले में कोर्ट ने नियुक्तियों में समानता के अधिकार के उल्लंघन मामले को चुनौती देने के लिए दूसरी याचिका दायर करने की छूट प्रदान की थी| हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, राजपत्रित अधिकारियों के पद के लिए नियुक्ति प्राधिकरण अध्यक्ष, अध्यक्ष होगा| और शेष पदों के लिए नियुक्ति अध्यक्ष व अध्यक्ष के आदेश के तहत प्रधान सचिव या सचिव द्वारा नियमों के अनुसार की जाएगी|
बताते चलें कि यह नियुक्तियां जनवरी 2016 से जुलाई 2016 के बीच आउटसोर्सिंग के माध्यम से अनुबंध के आधार पर उपनल के माध्यम से की गई थी| नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है| जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है| याचिकाकर्ता का आरोप था कि उत्तराखंड राज्य विधानसभा सचिवालय में तत्कालीन अध्यक्ष की ओर से की गई| अवैध नियुक्तियों के कारण सेवा नियमों के अनुसार, पात्र अभ्यर्थियों को सार्वजनिक रोजगार के अनुसार पात्र अभ्यर्थियों को सार्वजनिक रोजगार के अवसर से वंचित कर दिया गया है, जबकि यह सेवा के तहत पात्रता रखते हैं|
