देहरादून। उत्तराखंड राज्य में महिला डॉक्टर की कमी के कारण मातृ- शिशु मृत्यु दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही हैं राज्य के पर्वतीय इलाकों में अस्पताल गांव से दूर होने के कारण डोली पर महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया जाता है मगर समय पर ना पहुंचने से महिलाएं रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं और वही शहरी अस्पतालों में महिला रोग विशेषज्ञों की कमी के कारण मातृ शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो रही हैं। कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय हैं जिसकी स्थिति काफी बदहाल है यहां पर कुमाऊं के 6 जिलों के मरीज अपने उपचार के लिए पहुंचते हैं मगर महिला चिकित्सकों की कमी के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उत्तराखंड राज्य के सरकारी अस्पतालों में करीब 60% बाल रोग विशेषज्ञ एवं 64% महिला रोग विशेषज्ञों की कमी है जिस कारण मातृ- शिशु मृत्यु दर में काफी बढ़ोतरी हो रही हैं। कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल डॉक्टर सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में 23 पद स्वीकृत है जिसमें दो प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर ,11 असिस्टेंट प्रोफेसर और 7 सीनियर रेजिडेंट के पद है मगर इनमें से केवल चार ही पद भरे हुए हैं जबकि रोज मरीजों की संख्या 150 से 200 के बीच रहती हैं।
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