नैनीताल| राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के अध्यादेश पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है| कोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया| मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का आदेश दिया|
सरकार और लोक सेवा आयोग को 7 अक्टूबर तक अपना पक्ष पेश करने को कहा है| बताते चलें कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उत्तराखंड मूल की महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध किया था| उन्होंने कहा कि राज्य लोक सेवा आयोग ने डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुए उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में स्थानीय महिलाओं को अनारक्षित श्रेणी में 30% आरक्षण दिया है| इससे वह आयोग की परीक्षा से बाहर हो गई है| अदालत में कहा गया कि कोई भी राज्य सरकार जन्म और स्थाई निवास के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकती| याचिका में इस आरक्षण को निरस्त करने की मांग की गई है| सुनवाई के बाद अदालत ने आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाते हुए सरकार और लोक सेवा आयोग से अपना पक्ष रखने को कहा है|
ये था मामला -:
लोक सेवा आयोग ने 31 विभागों में 224 रिक्तियों के लिए पिछले साल 10 अगस्त को विज्ञापन जारी किया था| 26 मई 2022 को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया| परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी की 2 कट ऑफ लिस्ट निकली| उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों की कट ऑफ 79 थी| याचिकाकर्ता महिलाओं का कहना है कि उनके अंक 79 से अधिक थे, मगर उन्हें आरक्षण के आधार पर परीक्षा से बाहर कर दिया|