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उत्तराखंड राज्य में वर्षा का दौरा सामान्य हो चुका है लेकिन राज्य में इस बार पिछले 10 सालों में अतिवृष्टि की घटनाएं काफी हद तक बढ़ी है जिसे वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन का दूरगामी प्रभाव मान रहे हैं। बता दे कि इस बार काफी अधिक मात्रा में पहाड़ दरक रहे हैं और कमजोर भूगर्भीय स्थिति वाले उत्तराखंड के पहाड़ काफी तेजी से दरक रहे हैं। नैनीताल, मसूरी ,पिथौरागढ़, चमोली ,रुद्रप्रयाग आदि क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है।
बता दे कि उत्तराखंड में बीते कुछ वर्षों से फुटहिल्स में अधिक वर्षा दर्ज की जा रही है। पौड़ी स्थित श्रीनगर एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूमि वैज्ञानिक विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वाईपी सुंदरियाल के अनुसार शिवालिक पर्वतमाला हिमालय का सबसे नया और नाजुक हिस्सा है जो कि मलबे से बना हुआ है और यह चट्टान का सबसे कमजोर रूप है। वहीं दूसरी तरफ रुड़की स्थित राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर संजय कुमार जैन के अनुसार जलवायु परिवर्तन काफी गंभीर समस्या है और इस पर शोध की आवश्यकता है।
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