
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार एवं राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेशभर में योग शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष नमामि गंगे कार्यक्रम ने एक नई पहल करते हुए योग शिविरों के साथ-साथ आसपास स्थित मंदिरों और मठों में वेद, पुराणों और नदी सभ्यता पर विशेष चर्चा की जा रही है। इन संवादों में वेदों, पुराणों में वर्णित नदियों के महत्व, गंगा नदी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भूमिका पर चर्चा की जा रही है। इसी क्रम में आज स्वामी विवेकानंद तपस्थली काकडीघाट अल्मोड़ा नमामि गंगे वेद पुराण कार्यक्रम का हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ है दीप प्रज्ज्वलन के साथ मुख्य अतिथि हरीश परिहार योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन चंद भट्ट, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर कमलेश कांडपाल , पुजारी ललित नैनवाल, गौरव छीम्वाल ,भोपाल सिंह, किशन सिंह , दीपक परिहार, भुवन फर्त्या ललल्लन कुमार सिंह, रजनीश जोशी, हिमानी रॉबिन ने संयुक्त रूप से मिल कर किया , तत्पश्चात मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष को अंग वस्त्र भेंट की, अपने संबोधन में मुख्य अतिथि हरीश परिहार ने बताया वेद हमें एक साथ मिलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और बताया स्वामी विवेकानंद ने छोटी सी उम्र में संपूर्ण वेद पुराणों का अध्ययन कर किया था, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट ने बताया कि नमामि गंगे के कार्यक्रम संपूर्ण राष्ट्र को एक सुत्र में बांधने का कार्य कर रहा उन्होंने बताया हमारे वेदों में नदियों का वर्णन मिलता है हमारी प्राचीन नदी गंगा , यमुना, सरस्वती, सिंध नदी का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है कल्याण मंत्र, गायत्री मंत्र ये सब वेदों से ही लिए गए हैं ,
साथ ही गौरव छीम्वाल ने बताया मेरी यू.पी.एस.सी. में सफलता का राज ये वेद पुराण ही हैं , यह वेद के मंत्र हमें मानसिक तनाव से दूर रहने में बहुत सहायता प्रदान करते हैं करते हैं,
दीपक परिहार ने हठयोग को वेदों के साथ जोड़कर बताया कि वेदों में इड़ा , पिंगला, सुष्मना , नाड़ी का वर्णन मिलता है , ये नाड़िया हमारे चित्त को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,
डॉक्टर कमलेश कांडपाल ने पतंजलि योग सूत्र को वर्तमान जीवन में जोड़ते हुए अथ योग अनुशासन की बात कहीं,
योग शिक्षक लल्लन कुमार सिंह ने बताएं कि स्वामी विवेकानंद ने कहा वेद केवल किताबें नहीं ज्ञान का समुद्र है,
योग शिक्षक रजनीश जोशी ने बताया वेद में ईश्वर का सार्वभौमिक स्वरूप है।
योग शिक्षक डॉक्टर गिरीश अधिकारी ने स्वामी विवेकानंद जी ने काकड़ी घाट की अनुभूति के बारे में अपनी पुस्तकों बताया कि – अभी-अभी में अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण से गुजरा हूं इस पीपल वृक्ष के नीचे मेरे जीवन की एक महान समस्या का समाधान हो गया है मैंने सूक्ष्म ब्रह्मांड और बृहद ब्रह्मांड के एकत्व का अनुभव किया है जो कुछ ब्रह्मांड में है वह इस शरीर रूपी पिंड में भी है मैंने संपूर्ण ब्रह्मांड को एक परमाणु के अंदर देखा,
योग में शोधरत स्कॉलर रोबिन हिमानी ने बताया हम वेद पुराणों का पालन कर अपने जीवन को आनंदमय बना सकते हैं गायत्री मंत्र, कल्याण मंत्र, महामृत्युंजय जैसे मंत्रों का वर्णन वेदों में मिलता है
गाजीपुर उत्तर प्रदेश से आए हुए पर्यटक जिलाध्यक्ष भाजपा ओम प्रकाश राय ने अपनी संबोधन में बताया कि मैं इलाहाबाद की ओर जा रहा था यह कोई ईश्वरी शक्ति ही हैं, जो मुझे काकड़ीघाट ओर खींच लाया, यहां आकर मुझे बहुत आनन्द और शांति की अनुभूति हुई
कार्यक्रम का आयोजन योग विज्ञान विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के विभागाध्यक्ष डॉ नवीन भट्ट की संरक्षण में चल रहा है , जिसमें डॉक्टर भट्ट का लक्ष्य है 21 जून तक उत्तराखंड के अनेक मठ मंदिरों में वेद पुराण व योग पर चर्चा हो व आम जनमानस को इसका लाभ मिल सके
आगरा से आए हुए पर्यटक चंद्रप्रकाश ने बताया ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर होने चाहिए जिससे हमारा राष्ट्र सनातन की ओर अग्रसर हो सके
कार्यक्रम का संचालन डॉ गिरीश अधिकारी ने किया साथ ही अंत में कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन कर दिया गया कार्यक्रम में काकडीघाट अल्मोड़ा की जनता जनार्दन उपस्थित रही जिन्होंने इस कार्यक्रम में बढ़ चढकर हिस्सा लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई
नमामि गंगे का यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों, योग, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति का संगम है — जो आज के दौर में भारत को अपनी पहचान की ओर फिर से अग्रसर कर रहा है। कार्यक्रम में आम जनमानस गीतांजलि सिजवाली, प्रकाश कांडपाल, दीपा पडियार, अनुराधा धामी, नेहा आर्य, मीना, काजल गोस्वामी, नीतू पंकज राठौर, साक्षी भारद्वाज पूजा सैनी, ललिता , दीपाली, केशव कुंवर आशीष सिंथोलिया, विक्की रावत, हरदीप सिंह , संतोष बिष्ट, हेमंत खनका, परवल सुयाल, किरन सुप्याल,अमित पाठक, कमलेश कांडपाल, रजनी कांडपाल, पूजा नैनवाल,आदि उपस्थित रहे।
