ओमिक्राॅन वैरिएंट पर कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का इतना असर

कोरोनावायरस का नया स्वरूप जितना खतरनाक बताया जा रहा है उससे विश्व की हर देश में डर पैदा हो गया है| इस नई वैरीएंट के मिलने के बाद सभी के मन में यह प्रश्न दौड़ रहा है कि इस वैरीएंट पर कोरोना वैक्सीन का कितना असर है, वह कोरोना कि दोनों दोनों डोज लेने के बाद सुरक्षित है? हालांकि यह बहुत पेचीदा सवाल है क्योंकि इस नए वैरीअंट के बारे में अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिली है| फिर भी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज नए वैरीएंट पर कितनी प्रभावी है?

इस स्थिति को समझने के लिए की कोरोनावायरस के नए वैरीएंट पर कोरोना वैक्सीन का कितना प्रभाव है हमें यह समझना होगा की कोरोना वायरस के खिलाफ टीका कैसे काम करता है? अधिकांश टीके वायरस के स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र को टारगेट बनाते हैं| यह कोरोना का वह हिस्सा है जिससे वह कोशिकाओं में जाने के लिए करता है| कोरोना के सभी टीके स्पाइक प्रोटीन की पहचान करने के लिए मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं| और वायरस को शरीर में प्रवेश करने से पहले ही नष्ट कर देता है|

अब बात आती है कि कोरोना वैक्सीन ओमिक्रान वैरीएंट पर कितनी कारगर साबित होती है? इस नई वैरीएंट में अभी तक जो देखा गया है वह यह है कि इसके स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन है| इसमें से 10 उत्परिवर्तन को रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन या फिर स्पाइक प्रोटीन के आरबीडी में देखा गया है| स्पाइक प्रोटीन का यह हिस्सा जो मानव कोशिकाओं से जुड़ता है, एक अत्यधिक उत्परिवर्तन आरबीडी शरीर की प्रतिरक्षा ओमिक्राॅन वैरीएंट बिना नष्ट किए ले जा सकता है, क्योंकि इसके म्यूटेशन को लेकर बहुत पहले से अलर्ट नहीं है| लेकिन स्पाइक प्रोटीन कोरोनावायरस का एकमात्र हिस्सा नहीं है जिसकी पहचान प्रतिरक्षा प्रणाली करें| इसके अलावा एंटीबॉडी, टी कोशिकाएं, विशिष्ट कोशिकाएं जो पिछले संक्रमण या टीकाकरण के बाद शरीर में विकसित होती है और् पुराने वायरस को याद करने में सक्षम क्यों बोलती है| ऐसी स्थिति में यह नए वैरीएंट पर भी काम करेगी|

यूके के समाचार पत्र ‘द दार्जिलिंग’ में एक विशेषज्ञ, कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट प्रोफेसर पाॅल मार्गन के द्वारा लिखा गया कि कोरोनावायरस का नया रूप ओमिक्रान वेरिएंट बहुत संक्रमण है| लेकिन टीकाकरण के बाद इसका खतरा कम है| डेल्टा संस्करण में अभी तक संक्रमित टीकाकरण के मामले में कोरोना रोगियों के मरने की संभावना 9 गुना कम है| उन्होंने यह भी लिखा कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाने वालों की तुलना में बिना टीका लगाए लोगों में इस संक्रमण को पकड़ने की संभावना 3 गुना ज्यादा होती है| यह कहा जा सकता है कि कहीं ना कहीं कोरोना वैक्सीन इस नए वेरिएंट के खिलाफ लड़ने में भी कारगर साबित होती है|