
देश में कोरोना महामारी के कारण कई लोगों को मौत का सामना करना पड़ा और जो लोग कोरोना महामारी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरे उनके परिजनों को सरकार द्वारा प्रत्येक मौत पर 50000 का मुआवजा दिया जा रहा है। और इस मामले में टिप्पणी करते हुए बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाले 2 सदस्यीय पीठ ने इस बात पर टिप्पणी की थी कि कोरोना से मौत होने पर मुआवजा देने के झूठे दावों की समीक्षा की जाएगी। तथा कोर्ट इस मामले की जांच को सीएजी को सौंप देगा। कोर्ट का कहना है कि उन्होंने कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था कि कोरोना से मौत के कारण मिलने वाले मुआवजे का भी दुरुपयोग किया जाएगा। कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि पिछले हफ्ते उनके संज्ञान में कुछ ऐसे मामले आए जहां पर कोरोना से मौत के फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं जिनमें कुछ डॉक्टर्स की भी शामिल होने की शंका है। कोर्ट ने इस मुद्दे को काफी गंभीर बताया और चिंता जताई। और कहा कि देश में नैतिकता इतने नीचे चली गई है कि लोग अब कोरोना के झूठे प्रमाण पत्र भी जारी करवा रहे हैं। तथा इसी बीच सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने यह सुझाव दिया कि कोर्ट दावा पेश करने के संबंध में कोई एक तारीख को अंतिम तारीख घोषित कर दें ताकि जिसे भी इस संबंध में मुआवजे के लिए दावा करना है वह उस समय में कर दें। तथा इस मामले में आगामी बुधवार को फिर से सुनवाई होगी।
