
केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में 75 ऐसे पारंपरिक खेलों को जोड़ा है| जिन खेलों को दादा ने अपने स्कूल समय में खेला था, अब उन्ही खेलों को पोते भी खेलेंगे| जल्दी ही इन्हें स्कूलों में भी लागू किया जाएगा| इसमें गिल्ली डंडा, जैसे खेल भी शामिल है|
गत दिनों गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में यह प्रस्ताव पास किया गया है| इन खेलों से जहां सामाजिक दूरी कम होगी| वहीं बच्चों का शारीरिक विकास भी होगा| लोग अपनी परंपराओं से भी जुड़ेंगे|
बताते चलें कि 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई| इस बार उसकी वर्षगांठ पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए| इसमें देश के 75 पारंपरिक खेलों को नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है| इससे समाज में आपसी सौहार्द्र बढ़ाने के साथ ही युवाओं को शारीरिक मजबूती मिलेगी|
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में गिल्ली डंडा, राजा मंत्री चोर सिपाही, पोसम पा, कंचे, कबड्डी, लंगड़ी टांग, पतंग उड़ाना, मुर्गा झपट, मार्शल आर्ट समेत भारतीय गेमों को स्कूलों में लागू करने का प्रस्ताव पास हुआ है| बताया गया है कि गिल्ली डंडा खेल पांच हजार साल पुराना है| महाभारत काल में भी गिल्ली डंडा खेल पांडवों में खेला गया है| इस बात पर भी यहां चर्चा हुई, यदि यह खेल स्कूलों में लागू होता है तो दादा द्वारा खेले गए सारे खेलों को पोता खेलेगा| बीच की पीढ़ी इस तरह के खेलों से महरूम रही| क्रिकेट, फुटबॉल, रगबी, हॉकी, रैसलिंग जैसे गेमों के बारे में नई पीढ़ी रूबरू है, लेकिन पारंपरिक खेलों से दूर होती जा रही है और सरकार शारीरिक मजबूती और समाज को जोड़ने के लिए इस तरह के खेलों को शिक्षा नीति में भी ला रही है| जल्द इसका असर भी समाज में दिखेगा|
सरकार का यह कदम बच्चों के लिए तथा उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक साबित होगा|
