उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए तैयारियां जोरों पर है| भाजपा-कांग्रेस के कई दिग्गज नेता आने वाली विधानसभा चुनाव में अपने परिजनों को टिकट दिलाना चाहते हैं| इसमें से कुछ नेता ऐसे हैं जो अपनी जगह अपने बेटा-बेटी को टिकट दिलाना चाहते हैं, और कुछ ऐसे हैं जो अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलाना चाहते हैं| अब तमाम पार्टियों के टिकट के दावेदार धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं| जो अपनी पारिवारिक विरासत का हक जमा रहे हैं| कुछ लोग बुजुर्ग हो जाने के कारण खुद ही सत्ता से रिटायरमेंट मांग रहे हैं और जन सेवा के लिए अपने परिजनों को चुन रहे हैं जिस कारण पहले से सक्रिय कार्यकर्ताओं में असंतोष पनप रहा है|
प्रदेश में वंशवाद की राजनीति कई तरह से देखी जा सकती है| विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाने की बात हो या किसी नेता के निधन हो जाने के बाद उसके परिजनों को ही महत्व दिया जाता है| अभी की विधानसभा में ही देखा जाए तो मुन्नी देवी, चंद्रा पंत, महेश जीना इसी प्रकार निर्वाचित होकर सदन में पहुंचे| पूर्व मंत्री यशपाल आर्य भी अपने बेटे को विधानसभा में भाजपा के टिकट पर सियासी मैदान में ला चुके हैं| यह दोनों अब कांग्रेस की चिन्ह के साथ मैदान पर होंगे|
इस बार भी कुछ ऐसे नेता है जो खुलेतौर पर अपनी विरासत अगली पीढ़ी को सौंपने में जोर दे रहे हैं| और कुछ खामोश रहकर अपने परिवार के लोगों के लिए सियासी मैदान तैयार कर रहे हैं| इसमें कैबिना मंत्री बिशन सिंह चुफाल की बेटी दीपिका चुफाल, नेता विपक्ष प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के बेटे विक्रम रावत प्रमुख रूप से शामिल है|
पारिवारिक दावेदार – अमित कपूर – पूर्व स्पीकर हरबंस कपूर के बेटे, अनुपमा रावत – पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी, कनक धनै – पूर्व मंत्री दिनेश धनै के बेटे, विकास भगत – बंशीधर भगत के बेटे, अनुकृति रावत गुसाईं – हरक सिंह रावत की पुत्रवधू, सुमित हृदयेश – स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के बेटे, त्रिलोक सिंह चीमा – हरभजन सिंह सीमा के पुत्र इस बार चुनावी मैदान में नजर आएंगे|