
स्व. हीरा सिंह राणा की पुण्यतिथि पर रजि. सल्ट विकास संस्था (अल्मोड़ा) द्वारा मॉं मानिला देवी ट्रस्ट के सहयोग से मॉं मानिला देवी के पुस्तकालय में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मंचस्थ अतिथियों नन्दन सिंह मनराल, जी.एस.चौहान,पुष्कर सिंह विष्ट, जीवन सिंह रावत,रमेश सिंह नेगी द्वारा दीप प्रज्जवन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों द्वारा स्व.राणा को अपनी श्रद्धांजलि दी गयी। इसके उपरांत संगीत के साथ स्व. राणा की रची वंदना ‘ हे मानिला की माई, हम आयूं त्येरि शरणा’ का सुंदर भावपूर्ण गायन चन्द्रशेखर गहत्याड़ी द्वारा किया गया। हारमोनियम पर गणेशसिंह रावत द्वारा सहयोग दिया गया। इसके उपरांत संगोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों की गरिमामयी उपस्थित के लिए इस कार्यक्रम के मुख्य सहयोगी मॉं मानिला देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री नन्दन सिंह मनराल व एडवोकेट जी.एस.चौहान द्वारा आभार व्यक्त करते हुए स्व.राणा के जीवन संघर्ष ,व्यक्तित्व,कृतित्व व उनकी साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके उपरांत ईश्वर कोहली द्वारा राणा के जीवनवृत्त पर एक स्वरचित कुमाऊनी गीत ‘ उत्तराखंड देवभूमि गायक हीरा सिंह राणा, दुनी में कला कि छाप छोड़िगी अलग रै पछ्याणा’ का संगीत के साथ सुंदर गायन किया। संगोष्ठी में जगदीश चन्द्र बौड़ाई द्वारा स्व.राणा को दूरदर्शी सोच रखने वाला बताया। उन्होंने पहाड़ के हर दु:ख-दर्द को यहां की हकीकतों को अपने गीतों,रचनाओं के माध्यम से उजागर करने का काम किया। इसके उपरांत गणेश सिंह रावत ने सामाजिक बुराई शराब के प्रचलन पर स्व. राणा का गाया कुमाउनी गीत ‘सुर शराबी हाय मेरिट मौव लाल कै दिन हो ‘ का संगीत के साथ सुंदर गायन किया। सल्ट विकास संस्था के अध्यक्ष पुष्कर सिंह बिष्ट द्वारा स्व.राणा के गीतों में कुमाऊनी के असल शब्दों का भंडार समाया हुआ है। उनके एक – एक शब्द में गूढ़ अर्थ समाया हुआ है। उन्होंने अपनी बात में आगे कहा कि अगले वर्षों में हम स्व.राणा के जन्मदिन व पुण्यतिथि को भव्य रुप में मनाएंगे व विद्यालयों में भी राणा के रचना संसार पर विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन कर बच्चों को पुरस्कृत करने का काम भी संस्था के माध्यम से करेंगे। इसके उपरांत संगोष्ठी में स्व.हीरा सिंह राणा को वैश्विक पटल पर सम्मान,पहचान दिलाने के लिए उत्तराखंड सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु छ: प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गये। जिनका वाचन जी.एस.चौहान जी द्वारा किया गया। सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों में प्रस्ताव संख्या -1. स्व.हीरा सिंह राणा जैसे महान गीतकार, गायक, साहित्यकार,विचारक के नाम से एक लोककला साहित्य और गीतकार के रुप में एक पुरस्कार योजना हो। जिसे उत्तराखंड भाषा संस्थान व संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिवर्ष एक कुमाउनी गीतकार,गायक के सम्मान में दिया जाए। प्रस्ताव संख्या -2. हीरा सिंह राणा की रचनाओं को प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। प्रस्ताव संख्या -3. डोटियाल (मानिला) बरकिण्ड़ा मोटर मार्ग का नाम हीरा सिंह राणा के नाम पर रखा जाए। सर्वसम्मति से प्रस्ताव शासन को भेजा जाय। प्रस्ताव संख्या -4. केन्द्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने पर विचार। केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य में दो संस्कृति विश्वविद्यालय स्वीकृत हैं। एक संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने हेतु प्रस्ताव उत्तराखंड शासन को प्रस्ताव उचित माध्यम से प्रेषित किया जाय। प्रस्ताव संख्या -5. वर्ष 1980 से संचालित मौलेखाल अल्मोड़ा डाक बस सेवा नियमित रुप से मौलेखाल से अल्मोड़ा व अल्मोड़ा से वापसी मौलेखाल तक चलायी जाय। प्रस्ताव संख्या – 6. तल्ला सल्ट हरड़ा – तराड़ मौलेखाल मोटर मार्ग का पूर्ण डामरीकरण किया जाय। तल्ला सल्ट से विकासखण्ड एवं तहसील मुख्यालय मौलेखाल को जोड़ने वाला मोटर मार्ग पूरी तरह से खराब है।संगोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों द्वारा सर्वसम्मति से पारित इन प्रस्तावों को उत्तराखंड सरकार तक समय से पहुॅंचाने का बात कही। इसके उपरांत चन्द्रशेखर गहत्याड़ी द्वारा स्व.राणा जी के गीत त्यर पहाड़ ,त्यर पहाड़’ , रमेश सिंह नेगी ने ‘लस्का कमर बॉंधा’ गीतकार, गायक गिरीश सनवाल द्वारा ‘सरगतारा जुन्याली रात, को सुणलो तेरी-मेरी बाता’ व सत्यम सनवाल द्वारा ‘रंगिलि बिन्दी घाघरि काइ, धोती लाल किनर वाइ’ की संगीत के साथ शानदार प्रस्तुति दी। संगोष्ठी में बालम सिंह व जीवन सिंह रावत द्वारा स्व. राणा के समाज हित में किये गये कार्यों को याद करते हुए ‘सल्ट क्षेत्र’ को ‘वीरों की भूमि’ कहा। हम सब मिलकर सल्ट के विकास के लिए संघर्ष करेंगे। संगोष्ठी का संचालन कर रहे कृपाल सिंह शीला द्वारा भी सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए हीरा सिंह राणा जी के कृतित्व पर एक कुमाऊनी गीत ‘हीरा सिंह राणा तुम है गया अमर हो’ प्रस्तुत किया। इसके उपरांत शिक्षक कृपाल सिंह बिष्ट द्वारा स्व. हीरा सिंह राणा जी के संघर्षमय जीवन को ही उनकी सफलता का श्रेय बताया। सल्ट विकास संस्था के महासचिव जितेन्द्र सिंह मेहरा ने स्व. हीरा सिंह राणा के हर गीत में कुछ न कुछ सीख से प्रेरित बताया। व उन्हें उत्तराखंड का गौरव बताया। उन्होंने अपनी संस्था के माध्यम से भविष्य में स्व. राणा के व्यक्तित्व, कृतित्व पर विद्यालयों में विविध कार्यक्रम करने के साथ उनकी जन्मतिथि व पुण्यतिथि को भव्यता के साथ मनायें जाने की बात कही। अध्यक्षीय उद्बोधन में जी.एस. चौहान जी द्वारा कहा गया कि महान गीतकार,गायक स्व.राणा के जन्मदिन,पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किया जाना हम सब का सम्मान है। राणा ने मानिला को देश-दुनिया में एक अलग ही पहचान दिलायी है। इसके उपरांत कृपाल सिंह शीला द्वारा अपनी स्वरचित कुमाऊनी काव्य संग्रह ‘गिरै कौतिक’ व समीक्षा की गयी पुस्तक ‘जीवन का सार’ मॉं मानिला मंदिर पुस्तकालय हेतु मानिला मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नन्दन सिंह मनराल को भेंट की गयी। संगोष्ठी का समापन नन्दन सिंह मनराल जी द्वारा सभी से मिले अमूल्य सहयोग के लिए आभार व्यक्त करने के साथ किया गया। आगे भी इस प्रकार की संगोष्ठी के आयोजन के लिए सभी को आगे आने का निवेदन किया। संगोष्ठी में के.एस.बंगारी,बलवन्त सिंह रावत, ज्ञानसिंह तड़ियाल, बचे सिंह नेगी, प्रहलाद सिंह मनराल,गौरव कुमार,प्रतापसिंह, आनन्द सिंह, हीरा सिंह, दिनेश सिंह बिष्ट,अनीता नेगी आदि की सक्रिय प्रतिभागिता रही। संगोष्ठी का संचालन कृपाल सिंह शीला द्वारा किया गया। सभी साहित्य प्रेमियों के मंदिर के प्रसाद ग्रहण करने व सूक्ष्म जलपान के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।
