भैया दूज के पावन अवसर पर केदारनाथ धाम के कपाट आज पूरे रीति रिवाज के साथ शीतकाल के लिए बंद किए गए| आज सुबह से ही केदारनाथ के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी| सुबह 6:00 बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरव नाथ जी का आवाहन करके कर्मचारियों की उपस्थिति में स्वंभू शिवलिंग को विभूति तथा फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया|
सुबह 8:00 बजे मंत्र उच्चारण के साथ कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए| इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु उपस्थित थे| केदार बाबा की डोली में बर्फ की सफेद चादर ओढ़ कर लाखों श्रद्धालुओं के साथ मंदिर की परिक्रमा की और उसके बाद सभी पड़ाव को पार करके अपने शीतकालीन प्रवास ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान किया|
कल 7 नवंबर को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रभास के लिए पहुंचेगी| और 8 नवंबर को डोली केदार बाबा के शीतकालीन प्रवास श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ की गद्दी पर विराजमान होगी| जिसके बाद सभी भक्तों यहीं पर भगवान केदार के दर्शन करेंगे| बता दे कि कल 4 नवंबर को गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए| आज यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो जाएंगे| 20 नवंबर को शिव बद्रीनाथ के कपाट बंद होंगे और 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट बंद होंगे, 25 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचने की तिथि पर मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा| कहा जा रहा है कि अभी तक 2 लाख 40 हजार तीर्थयात्री केदारनाथ आ गए हैं
इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल गुरमीत सिंह, सीएम पुष्कर धामी, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल, चार धाम विकास परिषद पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने कपाट बंद होने पर शुभकामनाएं दी|