
कई देशों में चावल का उत्पादन लगातार गिर रहा है| इन देशों की सूची में चीन से लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ तक शामिल है|
यह वैश्विक चावल बाजार में 2 दशकों में सबसे बड़ी कमी दर्ज हुई है|
चावल संकट की वजह चीन में खराब मौसम और रूस-यूक्रेन युद्ध को बताया जा रहा है| जिसके चलते दुनियाभर में चावल की कीमतें बढ़ रही है| आइए जानते हैं भारत की स्थिति इस मामले में क्या है?
हम सभी जानते हैं कि चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है| दुनिया में चावल के शीर्ष निर्यातक भारत ने सितंबर में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और कुछ अन्य प्रकार के चावलों के निर्यात पर भी 20% शुल्क लगाया गया था| हालांकि इसके बावजूद भारत का चावल निर्यात पिछले साल रिकॉर्ड 22.26 मिलियन टन बढ़ गया| यह आंकड़ा दुनिया के अन्य सबसे बड़े चावल निर्यातक देशों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से अधिक है| वहीं वर्ष 2022-23 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, देश में इस साल चावल का कुल उत्पाद रिकॉर्ड 1308.37 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले साल की तुलना में 13.65 लाख टन अधिक है| चावल का उत्पादन भारत में भी मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है| इस बीच मौसम विभाग को उम्मीद है कि देश में सामान्य मानसून वर्षा होगी| वहीं चावल उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि उन्हें देश में कोई समस्या नहीं दिख रही है और लागत नियंत्रण में है|
कई देशों में चावल संकट की वजह रूस यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध है| जिसके कारण चावल की आपूर्ति कम हो गई है| इसके अलावा चीन और पाकिस्तान जैसे चावल उत्पादक देशों में खराब मौसम भी संकट का कारण है|
