हिंदी सिनेमा की दिग्गज गायिका ने पद्मश्री लेने से किया इंकार, कहा ‘अपमान महसूस हो रहा’

नई दिल्ली| गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार ने पद्मश्री और पद्म पुरस्कार की घोषणा की| जिसमें कला, खेल, साहित्य और सामाजिक क्षेत्रों में अपने खास योगदान देने वाली हस्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है| इसी में हिंदी सिनेमा की मशहूर और दिक्कत गायिका संध्या मुखर्जी उर्फ संध्या मुखोपाध्याय को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया| लेकिन उन्होंने यह सम्मान देने से मना कर दिया|


इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक संध्या मुखर्जी की बेटी सौमी सेनगुप्ता ने कहा कि उनकी मां ने पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार करने से मना कर दिया है वह इसे अब अपना अपमान समझती है|
सौमी सेनगुप्ता के अनुसार ‘संध्या मुखर्जी ने कहा कि वह गणतंत्र दिवस सम्मान सूची में पद्मश्री से सम्मानित होने के लिए तैयार नहीं है| कहां की 90 साल की उम्र में लगभग 8 दशकों से ज्यादा के सिंगिंग कैरियर के बाद उन्हें पद्मश्री के लिए चुना जाना उनके लिए अपमानजनक है| उन्होंने अपील की है कि संध्या मुखर्जी के पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार न करने को राजनीति रूप न दें| उन्होंने आगे कहा कि पद्मश्री किसी जूनियर कलाकार के लिए ज्यादा योग्य है न कि संध्या मुखोपाध्याय के लिए| उनका परिवार और उनके फैंस भी यही महसूस करते हैं| इसको राजनीति रूप भी न दिया जाए| वह किसी भी तरह की राजनीति से दूर है| इसलिए कृपया इसमें किसी भी तरह की राजनीति वजह ढूंढने की कोशिश ना करें| उन्हें काफी अपमानजनक महसूस होता है|’

संध्या मुखर्जी ने 60 और 70 के दशक में हजारों बंगाली गाने गाए थे| इसके अलावा उन्होंने दर्जनों भाषा में भी गाने गाकर संगीत जगत में अपनी छाप छोड़ दी है| संध्या मुखर्जी को साल 2001 में पश्चिमी बंगाल सरकार ने अपने सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार बंगा विभूषण से सम्मानित किया था| साल 2017 में संध्या मुखर्जी जय जयंती गाने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हुई थी|