सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों की आयुष्मान योजना से बाहर कैशलेस इलाज की मांग को पूरा कर दिया है| अब 3 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों को देश के बड़े अस्पतालों में कैशलेस इलाज आसानी से मिलेगा| क्योंकि सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनरों के इलाज को आयुष्मान योजना से अलग कर दिया है| अब राज्य सरकार ने उन्हें स्वास्थ्य योजना ( एसजीएचएस ) के तहत कैशलेस इलाज होने की बात की है| लेकिन अब गोल्डन कार्ड और इलाज की सुविधा लेने के लिए आईटी सिस्टम पहले की तरह रहेगा|
कल सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने इसके लिए शासनादेश जारी किया| जिसमें कर्मचारियों, पेंशनरों के साथ उनके आश्रितों का कैशलेस सुविधा को अटल आयुष्मान योजना से अलग कर दिया गया है| और कर्मचारियों और पेंशनरों को स्वास्थ्य योजना के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी| इस योजना का संचालन राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के माध्यम से किया जाएगा| साथ ही गोल्डन कार्ड और आईटी सिस्टम की व्यवस्था पहले की तरह ही लागू रहेगी| योजना में असीमित व्यय पर कर्मचारियों और पेंशनरों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी|
सरकार द्वारा सीजीएचएस दरें लागू करने के बाद बड़े अस्पतालों का पंजीकरण किया जाएगा| राष्ट्रीय सुरक्षा प्राधिकरण की ओर से सूचीबद्ध 2700 अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा मिलेगी| प्रदेश से बाहर सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज कराने के लिए सूचीबद्ध अस्पताल से रेफर कराने की व्यवस्था होगी लेकिन इमरजेंसी में इलाज के लिए रेफर की शर्त नहीं रहेगी| साथ ही ओपीडी उपचार पर कर्मचारियों और पेंशनरों को चिकित्सा बिल्लू की प्रतिपूर्ति स्वयं करनी होगी| इसमें परामर्श शुल्क, डायग्नोटिक्स, रेडियोलॉजी जांच और दवाओं पर होने वाले खर्चे को कर्मचारी और पेंशनर स्वयं देंगे|
कैशलेस इलाज के लिए कर्मचारियों और पेंशनरों को इस प्रकार अंशदान देना होगा|
श्रेणी अंशदान(प्रति माह)
वेतन स्तर 1 से 5 250
वेतन स्तर 6 450
वेतन स्तर 7 से 11 650
वेतन स्तर 12 व अधिक 1000