देवभूमि उत्तराखंड में युवा नशे की गर्त में जा रहे हैं और नशे संबंधित जरूरत को पूरा करने के लिए वह आपराधिक कदम भी उठा रहे हैं। उत्तराखंड के गांव-गांव तक नशे की खेप पहुंच रही है ।अवैध ड्रग्स रोज युवाओं तक पहुंचाए जा रहे हैं। बता दें कि बागेश्वर में प्रकटेश्वर मंदिर पर आयोजित नागरिक मंच की संगोष्ठी को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त जन स्वास्थ्य विज्ञानी डॉ एके अरुण द्वारा संबोधित किया गया। डॉ अरुण का कहना है कि उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है । यहां गंगा ,यमुना की उत्पत्ति हुई है यह आध्यात्मिक प्रदेश है लेकिन अब यह प्रदेश नशे की गर्त में जा रहा है हालांकि प्रदेश सरकार ने 2025 तक प्रदेश को नशा मुक्त बनाने की घोषणा की है लेकिन वर्तमान हालातों को देखकर ऐसा लगता नहीं क्योंकि वर्तमान समय में युवाओं के कदम नशे की ओर अधिक बढ़ रहे हैं जिसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी है। बेरोजगारी से परेशान होकर ईवा ऐसा कदम उठा रहे हैं। वर्ष 2020 तक उत्तराखंड में 10 करोड़ 50 लाख से अधिक रकम नशे की खेप से बरामद हुई थी और यहां पर नशे का नेटवर्क पड़ोसी प्रदेशों से भी जुड़ा है। वर्ष 2019 में एंटी ड्रग पॉलिसी बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन अभी तक वह धरातल पर लागू नहीं हुई है तथा राज्य में वर्तमान समय में 40% बेरोजगारी है जिसके चलते युवा नशे की गिरफ्त में फंस रहे हैं।
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