
उत्तराखंड राज्य में बीते 15 अप्रैल से पिंडारी व कफनी ग्लेशियर और सुंदरढूंगा घाटी की साहसिक यात्रा प्रारंभ हो चुकी है तथा इन स्थलों में ट्रैकिंग के लिए जाने से पहले देशी-विदेशी पर्यटकों को वन विभाग से सशुल्क अनुमति लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति के कोई भी इस तरफ नहीं जा पाएगा। ट्रैकर अपने साथ प्लास्टिक की बोतल भी नहीं ले जा सकते हैं। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में अमेरिकी पर्यटकों का दल पिंडारी ग्लेशियर क्षेत्र में फंस गया था उसके बाद से सुरक्षा मानकों की अनुमति के नियमों को पहले से ज्यादा सख्त कर दिया गया है और बता दें कि यह साहसिक यात्रा आगामी 15 जून 2023 तक जारी रहेगी। साहसिक यात्रा में जो भी पर्यटक जाना चाहते हैं उनके लिए वन विभाग ने अनुमति हेतु ₹1000 से ₹5000 तक का सिक्योरिटी शुल्क तय किया है। वन विभाग विदेशी पर्यटकों से ₹10000 उत्तराखंड को छोड़ अन्य राज्यों के पर्यटकों से ₹5000 और राज्य के पर्यटकों से ₹2000 का ड्राफ्ट लेगा। पर्यटक अपने साथ प्लास्टिक की बोतल नहीं ले जा पाएंगे। यही नहीं उन्हें अपना खाने- पीने का सामान व अन्य कूड़ा भी वापस लाना होगा। यदि वह अपना कूड़ा वापस नहीं लाते तो उनके द्वारा जमा की गई धनराशि जब्त हो जाएगी। ग्लेशियरों को गंदगी से बचाने के लिए यह मुहिम शुरू की गई है और जब से यह मुहिम शुरू हुई है तब से ट्रैकर अपना कूड़ा साथ लेकर लौट रहे हैं वरना इससे पहले काफी कम पर्यटक ऐसे थे जो अपने साथ कूड़ा वापस लाते थे। बता दें कि वन विभाग की चौकी में ट्रैकरो का कूड़ा जमा कराकर निस्तारण के लिए कपकोट नगर पंचायत को सुपुर्द कर दिया जाता है।
