Uttarakhand- संरक्षित क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को लेकर शासन ने अपनाया सख्त रुख……. 7 दिन में मांगी रिपोर्ट

उत्तराखंड राज्य में बीते कई माह से वन्य जीव परिरक्षण क्षेत्र के अधिकारियों से संरक्षित क्षेत्रों में धार्मिक स्थलों को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है। मगर अब तक वन विभाग के वन्य जीव परिरक्षण क्षेत्र के अधिकारी नहीं बता पाए हैं कि संरक्षित क्षेत्रों में कितने धार्मिक स्थल है। बता दें कि यह अधिकारी तेंदुए से लेकर पक्षियों की गणना का हिसाब रखते हैं मगर 6 माह गुजर जाने के बाद भी धार्मिक स्थलों के बारे में नहीं बता पाए। इस मामले को लेकर अब शासन ने सख्त रुख अपना लिया है और 7 दिनों के अंदर संरक्षित क्षेत्रों में सही धार्मिक स्थलों की संख्या बताने को कहा है। वन विभाग के मुखिया ने राज्य के दोनों टाइगर रिजर्व समेत राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य ओवर कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्रों में स्थित ऐसे स्थलों का विवरण तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। बता दें कि संरक्षित क्षेत्रों में मजारों की संख्या बढ़ने की सूचना को सरकार गंभीरता से ले रही हैं और सरकार द्वारा इसकी पड़ताल करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने यह निर्णय सामाजिक सुरक्षा कायम रखने और जंगलों में अतिक्रमण रोकने के लिए लिया है और सरकार द्वारा इस सूचना को गंभीरता से लिया गया है मगर फिर भी अधिकारियों ने तत्परता नहीं दिखाई है। अभी तक मुख्य वन संरक्षको की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार गढ़वाल तथा कुमाऊं मंडल के आरक्षित वन क्षेत्रों में 270 छोटे बड़े मंदिर व 10 मजारे तथा दो गुरुद्वारे हैं।रिपोर्ट के मुताबिक राजाजी टाइगर रिजर्व में बताया गया है कि इसकी 10 रेंजो में 10 मजारे व एक कब्रिस्तान है। मगर फिर भी वन मुख्यालय इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है।धार्मिक स्थलों को लेकर वन परिरक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तत्काल रिपोर्ट दें और जब वह इस ब्यौरे को देंगे तब समग्र रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट में यदि कोई भी धार्मिक स्थल अतिक्रमण की श्रेणी में आया तो उसे हटा दिया जाएगा। वन विभाग को रिपोर्ट देने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया गया है।