Uttarakhand- उत्पादकों का सहकारी डेरी से हुआ मोहभंग….. दूध में 15000 लीटर प्रतिदिन हो रही गिरावट

उत्तराखंड राज्य में अब दूध उत्पादकों का डेरी से मोहभंग होने लगा है। बता दें कि उचित दाम ना मिलने के कारण पशुपालक डेरी से अधिक खुले बाजार में दूध बेचना पसंद कर रहे हैं। जिसका असर डेरी फेडरेशन के उपार्जन में देखने को मिल रहा है। बता दें कि डेरी में पिछले वर्ष की तुलना में 7.70% की गिरावट दर्ज की गई है। राज्य में आंचल डेरी के लिए दूध उत्पादन सरकारी समितियों की मदद से दूध की खरीद की जाती हैं और इसकी ढाई हजार समितियों से 1.64 लाख उत्पादक जुड़े हुए हैं। इसलिए उत्पादकों को डेरी में दूध देने के लिए गुणवत्ता के हिसाब से कीमत चाहिए होती है लेकिन सही मूल्य नहीं मिलने के कारण अब उत्पादक डेरी में दूध बेचने पर कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। बता दें कि उत्पादक समितियों में जिस दूध को ₹39 प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं खुले बाजार में उन्हें उसका मूल्य 50 से ₹55 प्रति लीटर के हिसाब से मिल जाता है इसलिए डेरी का व्यापार अब घटता नजर आ रहा है। प्रदेश में प्रतिदिन 15000 लीटर दूध की गिरावट हो रही है। यहां तक की प्रगतिशील काश्तकार व नैनीताल दुग्ध संघ के पूर्व संचालक नरेंद्र सिंह मेहरा का कहना है कि दुग्ध उत्पादकों से 6.5 फैट के हिसाब से दूध खरीदा जाता है। उपभोक्ताओं तक दूध पहुंचता है तो पैकेट पर 4.5 फैट लिखा हुआ मिलता है। ऐसे में दुग्ध उत्पादन संघ को दूध बेचने वाले काश्तकार चारा और भूसा महंगा होने से लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं जिससे कि वे लोग खुले बाजारों में दूर बेचना काफी अच्छा समझ रहे हैं। उनका कहना है कि इसके लिए नीति बनाई जानी चाहिए और नीति में उत्पादक दूध खर्च के हिसाब से मूल्य निर्धारण होना चाहिए।