नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्टिंग का मुद्दा गरमाता जा रहा है| प्रदेश की कई बार एसोसिएशन में इसे लेकर दो फाड़ नजर आने लगा है| इसी बीच नैनीताल विधायक सरिता आर्या ने भी इस मामले को लेकर बयान जारी किया है| उन्होंने हाईकोर्ट शिफ्ट करने को अव्यावहारिक और गलत बताया है और कहा है कि अगर शिफ्टिंग बहुत जरूरी है तो इसे पटवाडांगर में बनाया जाए|
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है| जब इसका निर्माण हुआ तब हम चाहते थे कि राजधानी नैनीताल बने, क्योंकि यहां राजभवन, एमएलए आवाज, सीएम आवास, सचिवालय सब पहले से थे और भवाली और रानीबाग एचएमटी, भीमताल इंडस्ट्रियल क्षेत्र आदि में इसका विस्तार किया जाता| लेकिन राजधानी नहीं बन सकी पर न्यायिक राजधानी जरूर यहां बनी| जिससे नैनीताल की बहुत प्रतिष्ठा बढ़ी और यहां यातायात पर्यावरण सहित विभिन्न समस्याओं में भी कमी आई| इससे यहां हजारों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिला| आज यह मामला पहाड़ और नैनीताल की अस्मिता से जुड़ा हुआ है| सरिता ने कहा कि अब जब हाईकोर्ट की अवस्थापना सुविधाएं पूरी हो चुकी हैं और मेट्रोपोलो होटल परिसर में भविष्य में विस्तार की भी भरपूर संभावना है तो ऐसे में कोर्ट को यहां से शिफ्ट करना बिल्कुल असंगत और गैर वाजिब है| नैनीताल में पार्किंग व स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा और कोर्ट की शिफ्टिंग का मसला हमेशा के लिए समाप्त किया जाएगा|
विधायक ने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से हाईकोर्ट की स्थापना का नोटिफिकेशन नैनीताल के लिए जारी किया गया था| अब कोर्ट को मैदान में ले जाना इसकी भी अवहेलना होगी| यदि बहुत ही जरूरी हो तो कोर्ट का परिसर बल्दियाखान के निकट पटवाडांगर में बनाया जा सकता है, जहां 103 एकड़ समतल भूमि एक साथ उपलब्ध है| जिससे सड़क, बिजली, पानी सहित सुविधाएं उपलब्ध होंगी| और यह नैनीताल और पहाड़ में भी है, इससे पहाड़ी राज्य की अवधारणा भी बनी रहेगी और सबको सुविधा भी रहेगी|