Uttarakhand- हल्द्वानी में जंगलों के प्रति बरती गई लापरवाही….. विभाग करेगा भौतिक सत्यापन

हल्द्वानी क्षेत्र से एक ऐसी खबर सामने आई है जहां गौला बाईपास नेशनल हाईवे के पास बागजाला के जंगलों के प्रति काफी लापरवाही बरती गई है। बता दें कि जिम्मेदार लोगों ने यहां काफी लापरवाही दिखाई और माफिया द्वारा वन भूमि की बिक्री भी की गई और इस बात का किसी को पता भी नहीं चला एक ओर जहां उत्तराखंड में बीते अप्रैल माह से वन विभाग की जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू किया है वहीं दूसरी तरफ तराई पूर्वी डिवीजन के तहत आने वाले बागजाला में 12 मई 2023 को भी वन भूमि का एक हिस्सा 29.20 लाख रुपए में बिका इसका प्रमाण स्टांप की तारीख है। बुलडोजर के शोर के बीच भी सरकारी भूमि की खरीद-फरोख्त हो रही है। वन विभाग का नियम है कि लीज पर दी गई जमीन की समय सीमा खत्म होने पर पट्टे का नवीनीकरण करना जरूरी है यह पॉलिसी के साथ विधिक मामला भी हैं बागजाला में पट्टे का नवीनीकरण सिर्फ उन लोगों के नाम पर हो सकता है जिन्हें 1978 में जमीन मिली थी। पुराने व्यक्तियों की मृत्यु की स्थिति में वारिस के माध्यम से यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और वन विभाग द्वारा जिस स्टांप का जिक्र तहरीर में किया गया है वह मई 2023, जनवरी 2018, नवंबर 2019, जनवरी 2017 में बने हैं। बागजाला में जंगलों की खरीद-फरोख्त के चलते यह क्षेत्र खतरे में है यहां पर वन भूमि को उजाड़ बनाया जा रहा है तथा इस मामले में विभाग क्षेत्र में भौतिक सत्यापन करवाने की बात कह रहा है यानी कि यहां कौन लोग रहते हैं और लीज के समय की आबादी तथा कितने लोग यहां बाहर से आकर बसे हैं इन बिंदुओं पर रिपोर्ट बनेगी। जांच के बाद फॉरेस्ट लैंड की खरीद-फरोख्त में शामिल 10 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है और इस तरह के मामलों में लिप्त लोगों पर आगे भी कार्यवाही होगी। जंगलों को बचाने के लिए सरकार द्वारा काफी प्रयास किए जा रहे हैं मगर कुछ माफियाओं ने उत्तराखंड की वन भूमि को लालच के चलते बेचने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अब सरकार इसका भौतिक सत्यापन करेगी।