Uttarakhand- जोशीमठ की तरह यह शहर भी है भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील…… तैयार किया जा रहा है मानचित्र

उत्तराखंड राज्य के विभिन्न पर्वतीय जिले भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है और विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक आपदाओं की आशंका में काफी बढ़ोतरी कर दी है। यहां पर वर्षा काल के दौरान भूस्खलन काफी बड़ी चुनौती बन रहा है। विकास कार्य और निर्माण आपदा को लगातार न्यौता दे रहे हैं। वाडिया हिमालय भू- विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक उत्तराखंड में बढ़ रहे जोखिमों और उनके निदान के संभावनाओं पर अध्ययन कर रहे हैं।

जोशीमठ के अलावा मसूरी और नैनीताल भी भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील है जिनका मानचित्र तैयार किया जा रहा है। जोशीमठ आपदा के बाद इसकी नितांत आवश्यकता महसूस की गई है और मसूरी तथा नैनीताल में पर्यटकों के दबाव व आसपास हो रहे निर्माण कार्यों के चलते आपदा की आशंका बढ़ रही है। वाडिया के निदेशक काला चांद साई के अनुसार उत्तराखंड के पहाड़ों पर बड़े निर्माण की गुंजाइश काफी कम है और भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही पहाड़ों के प्रकार का भी गहन अध्ययन करने के बाद निर्माण योजनाओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिए मगर पहाड़ों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य होने के चलते यहां भूस्खलन की संभावना काफी बढ़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए अब मसूरी व नैनीताल के लिए भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र तैयार किया जा रहा है। इसका उपयोग राज्य सरकार की ओर से भूमि उपयोग मानचित्र तैयार करने के लिए किया जा सकता है।