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उत्तराखंड राज्य के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का कहना है कि विधानसभा भर्ती मामले में बेरोजगार अपराधी नहीं है। उन्हें क्यों सजा मिल रही है और अगर उनकी नियुक्ति अवैध तरीके से हुई है तो नियुक्ति करने वाले पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। साथ में उन्होंने यह भी कहा है कि अगर मैं अपराधी हू तो मैं भी जेल जाने के लिए तैयार हूं और अगर यह अवैध तरीकों से विधानसभा में भर्ती हुई है तो वह रद्द होनी चाहिए। लेकिन बेरोजगार लगातार नौकरी के लिए भटक रहे हैं और बेरोजगारों को पता लगा कि विधानसभा में नियुक्तियां होने जा रही है तो वह प्रयास करने के बाद नियुक्त हो गए और 6 वर्ष तक उन्होंने कार्य किया इसलिए बर्खास्त कार्मिकों की योग्यता पर कोई शक नहीं किया जा सकता है और किसी अधिकारी ने भी यह नहीं कहा है कि वह योग्य नहीं है। उन्होंने सालों तक अपना पूरा कार्य किया है लेकिन इसके बाद उनकी नियुक्ति को अवैध बताकर उन्हें एकतरफा बर्खास्त किया गया है और जिस गलती की सजा बेरोजगार भुगत रहे हैं उनमें उनकी कोई भी गलती नहीं है क्योंकि वह खुद भर्ती नहीं हुए हैं बल्कि उन्हें किसी ने भर्ती किया है। इसलिए विधानसभा में कार्यवाही भर्ती करने वालों पर करनी चाहिए तथा भर्ती पर जांच करने के लिए विधानसभा ने जो एक्सपर्ट कमेटी बनाई उसकी रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि राज्य बनने के बाद विधानसभा में आज तक हर नियुक्ति अवैध है क्योंकि यह सभी भर्तियां एक ही प्रक्रिया से की गई है इसलिए इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर देना चाहिए और गलती कानूनी रूप से हमारी मानी जानी चाहिए और इसलिए मैं हर सजा भुगतने के लिए तैयार हूं।
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