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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने परिवहन निगम प्रबंधन की ओर से दिव्यांगता की वजह से जबरन सेवानिवृत्त किए गए चालक-परिचालकों को सवेतन बहाल करने के आदेश जारी किए हैं|
न्यायाधीश रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया गया है| याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा, वे रोडवेज में चालक व परिचालक के रूप में कार्य कर रहे थे| रोडवेज में ड्यूटी के दौरान दिव्यांगता की वजह से चालक-परिचालकों से अन्य काम लिया जा रहा था|
सितंबर 2022 में परिवहन निगम बोर्ड ने इन याचिकाकर्ता चालक-परिचालकों को तीन माह का नोटिस देकर जबरन सेवानिवृत्ति करने का निर्णय लिया| नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई| पूर्व में कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर आदेश पर रोक लगाकर रखी थी|
इसके विरुद्ध रोडवेज ने स्पेशल अपील तैयार करके चुनौती दी| पूर्व में तत्कालीन चिप्स जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में स्पेशल अपील को खारिज करते हुए एकलपीठ को याचिका के जल्द निस्तारण के आदेश दिए| एकलपीठ में सुनवाई होने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया गया| एकलपीठ ने रोडवेज के नोटिस को अवैध करार देते हुए इसे खारिज कर दिया|
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