उत्तराखंड। कोरोना महामारी ने पिछले 2 वर्षों में पूरी दुनिया में काफी तबाही मचाई है इस महामारी में जहां एक ओर हम सब अपने को छूने से भी कतरा रहे थे वहीं दूसरी ओर देश में कुछ कोरोना योद्धा अस्पतालों में देवता बनकर कोरोना से संक्रमित मरीजों की देखभाल कर रहे थे मगर दुखद बात यह है कि जब देश को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब इन्होंने बिना खाए पिए बिना घर गए अपने कीमती 24 -24 घंटे अस्पतालों में मरीजों की देखभाल करने में गुजार दिए लेकिन इसके बाद भी
इन्हें कोई लाइफ इंश्योरेंस नही मिला। कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड राज्य के नैनीताल के अस्पतालों का है जहां कोरोना योद्धाओं को पिछले 6 महीने से अन्य सुविधाएं तो दूर की बात है उन्हें निर्धारित वेतन तक नहीं दिया गया है कोरोना योद्धाओं का कहना है कि वह अपने घर का किराया राशन बच्चों की फीस सब कर्ज लेकर चुका रहे हैं।
ऐसे में यह हमारे लिए काफी शर्मनाक बात है कि जिन्होंने कोरोना के इस मुश्किल दौर में हमें अकेला नहीं छोड़ा आज वह कर्ज में डूबे हुए है। ठेके पर रखे गए इन कर्मचारियों को अस्पताल ने मरीजों की सैंपलिंग, ब्लड टेस्ट, आइसोलेशन तथा कोविड सेंटर की जिम्मेदारी जैसे अनेक काम सौंपे थे जिन्हें करने के लिए यह अपने घर भी नहीं जा रहे थे। इनका कहना है कि कोरोना काल में इन्होंने काफी सेवा की है मगर जैसे ही संक्रमण में थोड़ी कमी आई इन्हें भुला ही दिया गया। उन्होंने कहा है कि यह जैसे ही अपनी तनख्वाह की बात करते हैं तो इन्हें नौकरी से निकाल देने की धमकी मिलती है।
कर्मचारियों ने बताया है कि जब इन्हें ड्यूटी पर रखा गया था तो इन्हें सर्टिफिकेट और इंसेंटिव देने का वादा किया गया था मगर अब इन्हें इनके हक का वेतन ही नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण यह महीनों से कर्ज में डूबे हुए हैं।कोरोना योद्धाओं का कहना है, कि वह आज भी इस आस में काम कर रहे हैं कि शायद आने वाले किसी एक दिन में उनका वेतन जारी कर दिया जाएगा। लेकिन इसी बीच उन्हें एक और डर सता रहा है कि कहीं वेतन की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया तो इस मुश्किल दौर में वह अपना और अपने परिवार का पालन कैसे करेंगे।