यूपी। गायत्री प्रसाद प्रजापति अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में कैबिनेट मंत्री रह चुके है। जिनके खिलाफ 18 फरवरी 2017 को चित्रकूट गैंगरेप के मामले में एफ आई आर दर्ज कराई गई थी। गैंगरेप साल 2014 में गायत्री प्रजापति के आवास में हुआ था। जिसकी एफआईआर 18 फरवरी 2017 को दर्ज की गई थी। जिसके बाद 15 मार्च 2017 को गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया।
इस मामले में एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश पवन कुमार राय द्वारा गायत्री प्रजापति समेत आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भी दोषी करार दिया गया है। तथा इसी केस से संबंधित चार आरोपियों चंद्रपाल ,विकास वर्मा, रूप्रश्वेर, अमरेन्द्र सिंह पिंटू को कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया है। इन चारों के वकील प्रांशु अग्रवाल द्वारा कोर्ट में यह दलील पेश की गई थी कि इनके खिलाफ अभी तक कोर्ट में कोई भी साक्ष्य पेश नही किये गए है। चित्रकूट गैंगरेप केस का फैसला कोर्ट द्वारा 7 साल बाद सुनाया गया है। इस बीच पीड़िता ने बार-बार अपने बयान बदले है इसकी जांच अदालत लखनऊ के पुलिस आयुक्त से कराएगी।
पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत सात अन्य लोगों पर मुकदमा चलाया था जिसमें से चार लोगों को निर्दोष पाकर बरी कर दिया गया है। व गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला, तथा अशोक तिवारी को दोषी पाया गया है। इस मामले में दोषी पाए जाने वाले लोगों को उम्रकैद या मृत्यु दंड भी हो सकता है आईपीसी की धारा 376- D के तहत अधिकतम सजा उम्रकैद हो सकती है तथा पक्सो एक्ट की धारा 6 में भी उम्रकैद या मृत्यु दंड का प्रावधान है। इन्हें कम से कम 20 साल की सजा कोर्ट सुना सकता है।