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खाने के तेल में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए खाद्य तेलों के संगठन एसईए अपने सदस्यों से दाम नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है| साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से कहा कि ग्राहकों को असुविधा से बचाने और उन्हें राहत देने के लिए फिलहाल अधिकतम खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी से बचना चाहिए| अपनी सदस्यों को लिखे पत्र में एसईए के प्रेसिडेंट अतुल चतुर्वेदी का यह कहना था कि देश कुछ समय पहले से खाद्य तेलों की महंगाई की चपेट में है उस पर रूस-यूक्रेन युद्ध ने स्थिति को और खतरनाक बना दिया है| खाद्य तेलों का मुख्य रूप से आयात होता है और विदेशी बाजारों में ऊंची परिस्थितियों के चलते इस समय खाद्य तेलों की महंगाई कुछ ज्यादा है| इस महंगाई की नीति नियंताओं को असहज किया है| उन्हें ऐसा लग रहा है कि कारोबारी खाद्य तेलों और तिलहन की कालाबाजारी कर रहे हैं हालांकि संगठन को ऐसा नहीं लगता है| लिहाजा यह सदस्यों को सलाह दी जाती है कि वे भारत सरकार द्वारा खाद्य तेलों और तिलहन पर लगाई गई भंडार सीमा का पूरी तरह पालन करें| यह भी कहा गया कि वे ऐसे कठिन समय में आपूर्ति सुनिश्चित करने के सभी जरूरी उपाय करें| बताते चलें कि भारत अपने 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल जरूरतों की भरपाई आयात से करता है अब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत में यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात पूरी तरह बंद हो गया है वहीं रूस ने भी सूरजमुखी तेल की बिक्री सीमित कर दी है|
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