उत्तराखंड। यह काफी हैरान कर देने वाली बात है कि स्कूलों में बच्चों को उचित शिक्षा ग्रहण करने हेतु भेजा जाता है अभिभावक बच्चों को इसलिए स्कूल भेजते हैं ताकि उनके बच्चे सदमार्ग पर जाएं और जाती- पाती, भेद-भाव, ऊंच-नीच, काले- गोरे के भेद से ऊपर उठकर जीवन में आगे बढ़ सके। मगर उत्तराखंड के चंपावत जिले से ऐसी हैरान कर देने वाली खबर आई है जहां पर अभिभावक और बच्चे स्कूल जैसे सार्वजनिक स्थान पर भी जाती पाती का भेद कर रहे हैं। चंपावत के सूखीढाग इंटर कॉलेज मेंअनुसूचित वर्ग की भोजन माता द्वारा भोजन बनाए जाने पर वहां अध्ययनरत बच्चों व उनके अभिभावकों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है।
अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे अनुसूचित वर्ग की भोजन माता के हाथ का बना खाना नहीं खाएंगे तथा बच्चों ने भी भोजन माता के हाथ का बना खाना खाने से साफ इनकार कर दिया है। अभिभावकों का कहना है कि एसएमसी की बैठक के दौरान विद्यालय के लिए भोजन माता के रूप में पुष्पा भट्ट को नियुक्त किया गया था मगर प्रधानाचार्य ने अपने मनमानी से एक अनुसूचित वर्ग की भोजन माता सुनीता देवी को नियुक्त कर दिया है इस पर अभिभावकों ने काफी आक्रोश जताया। व उन्होंने कहा किविद्यालय में सामान्य वर्ग के बच्चों की संख्या अधिक है इसलिए विद्यालय में भोजन माता भी सामान्य वर्ग से ही होनी चाहिए। इस मामले को लेकर उपखंड शिक्षाअधिकारी चंपावत अतुल बिष्ट का कहना है कि इस मामले के लिए उन्हें सीओ ने जांच करने के लिए कहा है तथा इसके लिए उन्हें विद्यालय जाकर जांच करनी होगी व उसके बाद ही इस मामले में कोई कदम उठाया जाएगा।