आत्मनिर्भर भारत की निशानी, देश से दुनिया तक कोवैक्सीन की कहानी

भारत के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ द्वारा इमरजेंसी इस्तेमाल हेतु मंजूरी दे दी गई है। यह फैसला 3 नवंबर 2021 को डब्ल्यूएचओ की तकनीकी समिति की बैठक में लिया गया। भारत में कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक से डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन से संबंधित अतिरिक्त जानकारी की मांग की थी।


भारत बायोटेक ने 19 अप्रैल 2021 को डब्ल्यूएचओ के समक्ष कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल करने के लिए आवेदन किया था। अब तक डब्ल्यूएचओ ने छ टीको के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है जिसमें फाइजर/बायोएंटेक की कोमिर्नेटी, एस्ट्राजेनेका की कोविशिल्ड, जॉनसन एंड जॉनसेन की वैक्सीन, मार्डना की एमआरएनए-1273, सिनोफार्मा की बीबीआईबीपि – कोवरी और सिनोवेक की कोरोना वैक भी शामिल है। और इन टिको में शामिल होने वाला कोवैक्सीन टीका सातवा होगा।

बैठक में डब्ल्यूएचओ द्वारा कहा गया कि दुनियाभर के नियामक विशेषज्ञ से बने तकनीकी सलाहकार समूह ने यह सुनिश्चित कर दिया है, कि को वैक्सीन डब्लू एच ओ के सारे मानकों को पूरा करती है। तथा इस टीके का लाभ जोखिम से कहीं अधिक बढ़कर होगा। को वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंड्राल द्वारा डब्ल्यूएचओ का धन्यवाद भी किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह तो पूरी की पूरी मोदी के संकल्प की कहानी है, कि आज भारत वैक्सीन के मामले में भी आत्मनिर्भर बन चुका है।

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