बागेश्वर । प्रकृति से छेड़छाड़ अत्यधिक दोहन,पहाड़ों में दिनोदिन बढ़ते कंकरीटों के जंगल,जंगलों में भड़कती आग,फल,फूलों,चारा प्रजाति के वृक्षों का जंगलों से गायब हो जाना तथा विकास के नाम से पेड़ों का अन्धाधुन्ध कटान , जमीन से हो रहा अन्धाधुंध दोहन ने पहाड़ की धरती की प्रकृति को बदल दिया है ।
अब प्रकृति के साथ की गयी यह छेड़छाड़ अपना असर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है । प्रकृति की इस मार के आगे अब किसी का बस नहीं । नतीजा सामने आ रहा है । जल स्रोतों में जल स्तर गिर गया है या कुछ सूख भी गये हैं । नंदियों में भी वहीं बात चरित्रार्थ हो रही है । आजकल धान की रोपाई के लिए रखा गया बिनौला सूख गया हैं । किसान परेशान हैं । विभाग की शहरों में पानी नहीं । अब प्रकृति पर ही सबकुछ छोड़ दिया हैं।