किसानों के संघर्ष के सामने झुकी सत्ता, लोकतंत्र की हुई जीत – पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

तीनों कृषि कानूनों को लेकर देशभर में विरोध हो रहा था इसमें उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा| उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में किसानों को समर्थन मिला और किसानों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए| किसानों ने इसे काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने पर देशभर के किसानों में खुशी की लहर लहरा रही है| किसानों ने केंद्र सरकार का आभार जताया| वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर राजनेताओं ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी| पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट पर एक पोस्ट में कहा अहंकार से चूर सत्ता ने उन तीनों काले कानूनों, जो किसानों का गला घोटं रहे थे, उन्हें वापस ले लिया| यह किसान भाइयों की जीत है| 1 हजार शहीदों की जीत है जिन्होंने अपने प्राण दिए, ताकि उनको जीत हासिल हो सके| उन्होंने किसानों को उनकी इस जीत के लिए बधाई दी| कहा कि हम इसे लोकतंत्र की जीत मानते हैं, क्योंकि सत्ता का अहंकार जनता के संघर्ष के सामने झुका है|

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस चुनाव समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने किसानों को बधाई देते हुए इसे लोकतंत्र की जीत कहा|

27 सितंबर 2020 को कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई| 3 नवंबर को कृषि कानून के विरोध में सड़क बंद करना सहित नए कृषि कानूनों के खिलाफ छुटपुट विद्रोह होने लगे| जिसमें सरकार से किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात कर रहे थे| लंबे समय से किसान और सरकार के बीच हो रहे इस संघर्ष में आखिरकार किसानों की जीत हुई| केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है|
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहले से ही कृषि कानून को लेकर सरकार पर हमलावर थे| उन्होंने तीनों कृषि कानून सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर खुशी जताई|