शाकाहारी रहकर ही बीमारियों से रहा जा सकता है दूर – संत बाबा उमाकांत महाराज

आज हर दिशा में बदलाव नजर आ रहा है चाहे वह लोगों का रहन-सहन हो या खानपान| लोगों को अब भगवान से भी कोई डर नहीं है| भगवान के बनाए हुए मानव मंदिरों को लोग शराब-मांस खा-पीकर गंदा कर रहे हैं| इसलिए मनुष्य के खानपान और इस नए चाल-चलन से भगवान बहुत नाराज है वह लोगों को तरह-तरह के रूप में सजा दे रहे हैं| अगर अब भी लोगों ने मांसाहार का सेवन बंद नहीं किया तो लोगों का कोरोना जैसी बहुत सारी आने वाली बीमारियों से बच पाना बहुत मुश्किल होगा|

शाकाहारी सदाचारी बनकर मनुष्य को परमात्मा का साक्षात्कार कराने वाले इस धरती पर मौजूद मनुष्य शरीर में उज्जैन के प्रकट संत बाबा उमाकांत जी महाराज ने काशीपुर में बड़ी संख्या में पहुंचे सत्सगियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि कुछ प्रांतों में ऐसे जिले हैं जहां ज्यादातर मांसाहारी लोग रहते हैं| उनको आज तक कोई बताने वाला गया ही नहीं इनमें कुछ ही लोग शाकाहारी मिलेंगे| उन्होंने कहा मैं तो घूमता और देखता रहता हूं|


गुरुदेव ने बताया कि मैंने उड़ीसा के एक आदमी से पूछा तो उसने मुझे जवाब दिया कि यहां तो कोई शाकाहारी है ही नहीं| मंदिर है तो बोला मंदिर के पुजारी भी खाते-पीते हैं| उस आदमी ने बोला आज तक यहां कोई बताने या समझाने के लिए नहीं आया| सब कहते हैं दादा पिता खाते थे इसलिए हम भी खा रहे हैं| और सभी खाते हैं| कोई बताने वाला नहीं है मुर्गा, बकरा काटने से देवता खुश नहीं होते| कहीं लोग अज्ञानता के कारण ऐसा करते हैं तो कहीं जुबान के स्वाद के लिए|

कई लोग इस बारे में जानते हुए भी सुनते हुए भी अमल नहीं करते| लोग पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ, दान ,पुण्य ,सभी करते हैं, तीर्थों में जाते हैं लेकिन मांस खाना , मदिरा पीना फिर भी नहीं छोड़ते|


पूजा पाठ करने के बाद भी लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है, बीमारी, लड़ाई झगड़ा घर में बना रहता है| निंदा अपमान बहुत और रुपया पैसा बहुत कम बरकत नहीं है| यही कारण है कि लोगों के सब कुछ करते हुए भी दुखों का निवारण नहीं होता|


उत्तराखंड में ही देखें तो बहुत मांसाहारी लोग बढ़ गए हैं| नशे की गोलियां खिला-खिला कर लोग अपना आदमी बनाने के चक्कर में नौजवानों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं|


बच्चा जब पैदा होता है तो शाकाहारी को लेकर पैदा होता है, दूध पीता है, अनाज खाते हैं उनका खून बनता है| फल-फूल खाएगा तो उनका खून बनेगा, जब मांस खाएगा तो मांस से बना खून शाकाहारी खून से मेल नहीं खाता, और तरह-तरह की बीमारियां शरीर में पैदा हो जाती है खून का दौरा जब तेज होता है तो बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है| जितने भी मांसाहारी जानवर है उनको क्रोध बहुत आता है| लड़ाई-झगड़ा, बीमारियों का यही कारण है कोरोना और जो तरह-तरह की बीमारियां आ गई है अभी इससे भी भारी बीमारियां आने वाली है उन सब का यही एक कारण है|


गुरुदेव ने कहा जो मांसाहार खाते हैं उनके शरीर में भी मांसाहार का खून बनता है| उसी खून का दौरा पूरे शरीर पर होता है| एक मांसाहारी व्यक्ति अगर भगवान की पूजा करता है तो उसका फल उसे प्राप्त नहीं होता| गंदी जगह से आवाज निकलेगी तो खुदा खुश होगा? या भगवान प्रसन्न होंगे?


गुरुदेव ने यह भी बताया कि किस प्रकार पूजा कुबूल होगी, जो मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे बनाते हो आप उसमें मुर्दा, मांस डाल दो तो पूजा,नमाज, पाठ नहीं करते हो तो क्या वहां आपकी प्रार्थना कुबूल होगी? जब इसको साफ सुथरा रखोगे तब आपकी प्रार्थना कुबूल होगी| वह मालिक दुनिया की कमी नहीं होने देगा| यह सब जैसे भोजन, कपड़ा, समाज में रहने के लिए मान प्रतिष्ठा यह सब कुछ उस प्रभु के हाथों में है|