
महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में छठे दिन हुआ ज्ञान, स्वास्थ्य और समाज सेवा का संगम
नानकमत्ता, 24 मार्च 2025 – राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के सात दिवसीय विशेष शिविर के छठे दिवस का आयोजन महिला स्वास्थ्य जागरूकता और प्रवासी पक्षी संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित रहा। इस दिन शिविरार्थियों ने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए, शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
बर्ड वॉचिंग: प्रवासी पक्षियों के संरक्षण का संदेश
स्वयंसेवकों ने प्रातःकाल नानकमत्ता डैम क्षेत्र में बर्ड वॉचिंग की, जहां उन्होंने लिटिल ई ग्रेट, ग्रे हेरॉन, व्हाइट ब्रेस्टेड हेरॉन, पेलिकन ब्लैक चिन्ड बॉब्लर, परपल सन बर्ड, रेड विस्कर्ड बुलबुल, ब्लैक ड्रोंगो और अन्य पक्षियों को देखा और उनके व्यवहार एवं आवास संबंधी विशेषताओं का अध्ययन किया। तत्पश्चात प्रवासी पक्षियों के संरक्षण हेतु जागरूकता अभियान आयोजित किया गया
पक्षी विशेषज्ञ दिव्यांशु ने इस अवसर पर कहा,
“प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर नानकमत्ता डैम तक आते हैं, लेकिन स्थानीय निवासियों की अनभिज्ञता और मानवीय हस्तक्षेप उनके अस्तित्व के लिए खतरा बनता जा रहा है। हमें इनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।”
इसके पश्चात एनएसएस स्वयंसेवकों ने स्थानीय समुदाय के बीच एक जागरूकता रैली निकाली। इस दौरान नारे लगाए गए – “पंछी हमारे मेहमान हैं, इनका करना सम्मान है” और “प्रकृति का संतुलन बचाना है, प्रवासी पक्षियों को बचाना है।”
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अंजला दुर्गापाल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा,
“इस प्रकार के शिविर विद्यार्थियों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने का कार्य करते हैं। प्रवासी पक्षियों का संरक्षण केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हमारे जैव विविधता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम है।”
महिला स्वास्थ्य जागरूकता अभियान: माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की पहल
एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा बंगाली कॉलोनी में महिलाओं और किशोरियों के बीच माहवारी स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान सेनेटरी पैड वितरित किए गए, और महिला स्वास्थ्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुली चर्चा की गई।
महाविद्यालय नानकमत्ता की प्राध्यापक डॉ. स्वाति पंत ने इस अभियान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा,
“ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी के दौरान स्वच्छता को लेकर आज भी कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। यह अभियान इन रूढ़ियों को तोड़ने और स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।”
महाविद्यालय नानकमत्ता की प्राध्यापक डॉ. मीनाक्षी ने किशोरियों को माहवारी के दौरान साफ-सफाई बनाए रखने के उपाय बताए और कहा,
“यदि माहवारी को लेकर सही जानकारी दी जाए तो इससे जुड़ी बीमारियों को रोका जा सकता है। हमें समाज में जागरूकता फैलाने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे।”
बौद्धिक सत्र: “सेक्स एजुकेशन क्यों जरूरी है” – एक खुली चर्चा
दोपहर के बौद्धिक सत्र में “सेक्स एजुकेशन क्यों जरूरी है” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में सेक्सोपीडिया प्रोजेक्ट की विशेषज्ञ हरप्रीत, योगिता और विनीता ने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को यौन शिक्षा, लैंगिक समानता और व्यक्तिगत गरिमा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
सेक्सोपीडिया प्रोजेक्ट की विनीता ने कहा,
“सेक्स एजुकेशन सिर्फ जैविक प्रक्रिया को समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक पहलू से जुड़ा विषय है। हमारे समाज में यौन शिक्षा को लेकर अब भी कई भ्रांतियां और संकोच व्याप्त हैं, लेकिन यह समय की मांग है कि हम इसे खुलेपन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अपनाएं।”
उन्होंने कहा कि सेक्स एजुकेशन बच्चों और किशोरों को अपने शरीर, भावनाओं और रिश्तों को सही तरीके से समझने में मदद करता है। यह न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि यौन स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और व्यक्तिगत गरिमा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी जागरूकता लाता है।
सेल्फलेड प्रोजेक्ट की योगिता ने इस दौरान कहा,
“किशोरावस्था में शारीरिक बदलावों को समझना बेहद जरूरी है। यदि इस समय सही जानकारी नहीं दी गई, तो बच्चे गलत स्रोतों से अधूरी या भ्रामक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जो आगे चलकर गंभीर मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है। सेक्स एजुकेशन युवाओं को यौन संचारित रोगों (STDs), अनचाही गर्भावस्था और माहवारी के दौरान स्वच्छता जैसे मुद्दों पर जागरूक करता है।”
उनका कहना था कि “हमारे समाज में लैंगिक असमानता एक गंभीर मुद्दा है। सेक्स एजुकेशन लड़कों और लड़कियों दोनों को समान रूप से यह सिखाती है कि वे एक-दूसरे का सम्मान करें, सहमति (consent) का महत्व समझें और अपने अधिकारों को पहचानें। यह शिक्षा हमें लैंगिक भेदभाव, शोषण और हिंसा को रोकने में मदद कर सकती है।”
संगोष्ठी में महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. मंजुलता जोशी ने “सेक्स एजुकेशन क्यों जरूरी है” विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा:
“आज के डिजिटल युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया से बच्चे बहुत जल्दी एक्सपोज़ हो जाते हैं। ऐसे में यह अनिवार्य हो जाता है कि उन्हें यह सिखाया जाए कि वे किस प्रकार सुरक्षित ऑनलाइन और ऑफलाइन रह सकते हैं। सेक्स एजुकेशन उन्हें यह सिखाता है कि किन परिस्थितियों में ‘ना’ कहना जरूरी है और कैसे अपने शरीर की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।”
उनका कहना था कि “किशोर अवस्था में कई तरह के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं, जिससे वे कई बार भ्रमित और असहज महसूस करते हैं। यदि इस समय उन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिले, तो वे चिंता, अवसाद और आत्म-संदेह जैसी समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। सेक्स एजुकेशन इन बदलावों को समझने और स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाए रखने में सहायक होती है।”
संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए डॉ मीनाक्षी ने कहा कि “रिश्तों में पारस्परिक सम्मान और समझदारी आवश्यक है। सेक्स एजुकेशन यह सिखाती है कि एक स्वस्थ संबंध में संचार (communication), सहमति (consent), विश्वास (trust) और जिम्मेदारी (responsibility) कितनी महत्वपूर्ण होती है। इससे किशोर और युवा अस्वस्थ या हिंसक रिश्तों को पहचानने और उनसे बचने में सक्षम होते हैं।” उनका कहना था “यदि हम समाज में यौन हिंसा, बाल शोषण, जबरदस्ती और अन्य अपराधों को कम करना चाहते हैं, तो हमें बचपन से ही सही शिक्षा देनी होगी। सेक्स एजुकेशन सिर्फ व्यक्तिगत विकास नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार एवं सामाजिक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
इस अवसर पर डॉ कमलेश अटवाल का कहना था कि
“सेक्स एजुकेशन को स्कूलों और कॉलेजों में एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में अपनाया जाना चाहिए। जब युवा सही जानकारी से लैस होंगे, तो वे आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और एक .जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। हमें इस विषय को वर्जना के रूप में देखने के बजाय इसे विज्ञान और नैतिकता के साथ जोड़कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
उन्होंने विद्यार्थियों और शिक्षकों से आग्रह किया कि यौन शिक्षा को सहजता और खुलेपन के साथ स्वीकार करें, ताकि एक स्वस्थ, सुरक्षित और सशक्त समाज की नींव रखी जा सके।
संगोष्ठी में विद्यार्थियों ने खुले मंच पर सवाल पूछे और विशेषज्ञों ने उनके संदेह दूर किए।
सायंकालीन सत्र: आत्मरक्षा प्रशिक्षण – सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम
शाम के सत्र में घनिष्ठ मिश्रा अकादमी, खटीमा के प्रशिक्षकों द्वारा आत्मरक्षा एवं मार्शल आर्ट्स का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रशिक्षक घनिष्ठ मिश्रा ने कहा,
“स्वरक्षा हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। यह न केवल आत्मबल बढ़ाता है बल्कि विपरीत परिस्थितियों में आत्मरक्षा करने की क्षमता भी देता है।”
इस प्रशिक्षण सत्र ने विशेष रूप से छात्राओं में आत्मविश्वास का संचार किया।
समापन: स्वच्छता संकल्प और सांस्कृतिक एकता
दिन का समापन “हम होंगे कामयाब” समूहगान के साथ हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने एकता, सहयोग और दृढ़ संकल्प का संदेश दिया। इसके पश्चात स्वयंसेवकों ने शिविर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान चलाया।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा, प्रो. मृत्युंजय शर्मा, डॉ. निवेदिता अवस्थी, डॉ. ललित सिंह बिष्ट, डॉ. स्वाति लोहनी, डॉ. मंजुलता जोशी, डॉ. निशा परवीन, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. दर्शन सिंह मेहता, डॉ. चंपा टम्टा, डॉ. उमेश जोशी, डॉ. शशि प्रकाश सिंह, महेश कन्याल, राम जगदीश सिंह, विपिन थापा, सुनील कुमार तथा श्संतोष चन्द, उमेद कुमार, रजविंदर कौर, किरन भट्ट, परमजीत कौर, अनीता भट्ट, कपिल सिंह, योगेश उपाध्याय, प्रकाश कौर सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, गणमान्य अतिथि एवं समस्त स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
