
तेरि कोखिक ऊ मिठो दूद,
कसिक भुलूं मैं वीक वजूद,
त्योर आंचलक फाटि कुण,
मैं हुणि सुनैकि खाण छी तू!!
हातन में र्वाट बेलि में साग,
कतुक भल छी हमौर भाग,
जब खऊंछी तू गास टोड़ि,
मुखै – मुख म्यार चै रूंछी तू!!
आरु नाशपाति बेड़ुक डाव,
टोड़ण हुणि है जांछी छाव,
धात लगै मारन छ्यां डाड़ ,
फिर लै कभै नि रिसाणि छी तू!!
एक घड़िकलै आराम कां छी,
कब सिति कभत उठि जां छी,
मुख अन्यार हो आदुक रात,
हर बखतैकि रत्तै ब्याण छै तू!!
कास् बखताका फेर आया,
छुटिगो दगड़ रै गे छ माया,
कसिक भुलूं नि भुलि सकन,
के मलि बै आजि चाण छी तू?
मातृ दिवस कि हार्दिक बधाई
🙏 प्रकाश पाण्डेय 🌹
कनखल (हरद्वार)
११ मई २०२५
