हम सभी सरसों के तेल का उपयोग करते हैं सुनने में आया है कि मिलावट खोर सरसों के तेल में 1-2 नहीं बल्कि 94% तक मिलावट कर रहे हैं जो हम सभी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. मसूरी ,रुद्रप्रयाग ,जोशीमठ, गोपेश्वर व अल्मोड़े में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई है.
देहरादून सहित उत्तराखंड के कई जिलों से सरसों के तेल की नमूने लिए गए, उन नमूनों की जांच के बाद उनमें 94% नमूने फेल हो गए. देहरादून में संस्था की ओर से लिए गए सरसों के तेल के 250 नमूनों में से 236 नमूने जांच में फेल हो गए. संस्था ने कहा कि अन्य स्थानों से लिए गए नमूनों में भी भारी मात्रा में मिलावट पाई गई है.
संस्था के सचिव बृजमोहन शर्मा ने मीडिया को बताया कि संस्था की तरफ से देहरादून, डोईवाला, विकासनगर, मसूरी, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जशपुर ,काशी, रुद्रपुर ,रामनगर ,हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ से सरसों के तेल के 469 नमूने जांच के लिए एकत्र किए गए, 469 में से 415 सिंपलों में मिलावट पाई गई जबकि मसूरी, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ , गोपेश्वर व अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई. तेल में पीले रंग यानी मेटानिल पीला ,सफेद तेल, कैटल ऑयल, सोयाबीन, मूंगफली (जिसमें कपास के बीज का तेल होता है) और हेक्साने की मिलावट का अधिक प्रतिशत है.
मिलावटी तेल का सेवन करने के कारण शरीर में सूजन विशेषकर पैरों में सूजन आ जाती है और पाचन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जैसे उल्टी-दस्त होन,भूख न लगना. लंबे समय तक मिलावटी तेल का सेवन करने के कारण गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं.