महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम के झटकों को नजरअंदाज करते हुए विपक्ष की पार्टियों ने अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को मजबूत चुनौती देने के लिए विपक्षी एकजुटता को विस्तार देने की जवाबी रणनीति अपनायी है। इस क्रम में बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी एकजुटता की बैठक में 24 दलों को आमंत्रित कर विपक्ष के राष्ट्रीय फलक को बढ़ाने का फैसला किया गया है।
एमडीएमके, फारर्वड ब्लॉक,आरएसपी और आईयूएमएल समेत आठ ऐसे दलों को बेंगलुरू बैठक में निमंत्रण दिया गया है, जिन्हें पटना में विपक्षी एकता की पहली बैठक में नहीं बुलाया गया था। विपक्षी राजनीति की सरगर्मियों को और गंभीरता देने के लिए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी भी बेंगलुरू की बैठक में शामिल होंगी।
कांग्रेस की पहल पर 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने वाली दूसरी एकता बैठक में पार्टियों की संख्या में कुछ और इजाफा होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा रहा है। विपक्षी एकता की इस बैठक में ऐसे दलों को ही न्यौता दिया गया है जो प्रत्यक्ष रूप से भाजपा की राजनीतिक शैली और विचारधारा के खिलाफ मैदान में खड़े होते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर पटना में 23 जून को हुई पहली बैठक में 16 दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया था और 15 पार्टियों के नेता इसमें शामिल हुए थे।