आइए पढ़ते हैं ‘ अहमदाबाद प्लेन हादसे’ पर लिखी राकेश उप्रेती की स्वरचित कविता

” पायलट सुमित की आख़िरी उड़ान ”

अहमदाबाद प्लेन हादसा
दिनाँक_ 12 जून 2025

रोज की तरह सुबह उठकर
ईश्वर का नाम लेकर मैं चला था
अपने प्लेन पर ,
हमेशा की तरह मैंने आज भी सबको देखा तो कोई अपने काम की तलाश पर
तो कोई अपने परिवार के पास
तो कोई अपने परिवार से दूर जा रहा था
मैं जो खुद ड्यूटी कर रहा था
सब कुछ तो रोज की तरह था
पर अचानक …ये सब जो सब कुछ खत्म सा कर गया

प्लेन पर बैठे हुए मैंने आज से पहले भी हजारों उड़ानें की थीं…
सबको मंजिल पर पहुँचाया था
पर इस बार,
कुछ अलग था जैसे ही मैंने उड़ान भरी तो अचानक से आसमान भारी सा लगने लगा
मैं जो कभी उड़ान भरते हुए कभी डरता नहीं था
पर अचानक से आज कुछ अलग सा लगने लगा मुझे

आज मैं ही नहीं मेरा दोस्त प्लेन हम दोनों काँप रहे थे,
ऑखों के सामने मानो सब धुंधला पड़ रहा था,
आगे मानो कुछ दिखाई सा नहीं दे रहा था
तभी मेरे हाथ…
पहली बार डगमगाए…
मेरे पीछे मेरे परिवार की तरह सैकड़ों साँसे थीं
हँसता खेलता परिवार
और नन्हें बच्चों के सपनों की उड़ान थी
मैं ही नहीं मेरा स्टाफ भी ये सब देख अचानक मौन सा हो गया
उस वक्त अन्दर बैठे हर इंसान का चेहरा मेरे निर्णय पर टिका था।
क्योंकि मैं उन सबकी उम्मीद था
मैंने इतनी कोशिशे जो पहले कभी की ना हो
सब कुछ किया क्योंकि आँखों के सामने मेरे सैकड़ों साँसे थी
लोगों की उम्मीदें थी
मैंने कोशिश ही नही पूरी जान लगा दी थी
कि मैं सब ठीक कर दूँ पर
ऐसा ना हुआ मेरी कोशिशे
नकाम रही
हर बार वक्त जो मेरा साथ देता था मानो इस बार वो मेरा साथ छोड़कर आगे भाग सा गया …
शायद उसे ये ही मंजूर था..
आख़िरी क्षणों में जब मैं हार सा गया उम्मीदें मेरी टूटने लगी
मैं जो अब कुछ कर नहीं सकता था
तो मैंने ईश्वर से प्रार्थना की
हे ईश्वर मेरी जान लेकर आज इन सैकड़ों लोगों की जान को बचा ले ..
पर एकदम से मेरे हाथ रुक से गये
जहाज टूट गया आग लगी
जो इतनी खतरनाक थी जो अब
सब खत्म कर दे
लेकिन मैं फिर भी कंट्रोल स्टिक से चिपका रहा…
मानो मैं खुद की जान देकर
उन सब की जानें बचा सकूँ…

मैं पायलट था —
मौत के बाद भी
ज़िन्दगी से बँधा हूँ .!!

राकेश उप्रेती ✍️✍️

Leave a Reply