आज हर वर्ष की भांति अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना है| हर साल पूरी दुनिया में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है|
महिलाएं राष्ट्र निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दे रही है| लेकिन फिर भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान व अधिकार प्राप्त नहीं है| दुनिया के तमाम देशों में महिलाओं को समान अधिकार उन्नति के समान अवसर हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है| भारतीय संविधान में भी महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने और उनको सुरक्षित वातावरण देने के लिए कुछ अधिकार दिए गए हैं, जिनको जानकर हर महिला अपनी जिंदगी को आसान बना सकती है| लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में पता नहीं होता है| आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम भारतीय संविधान में शामिल कुछ मुख्य महिला अधिकारों के बारे में बताते हैं| जिनको जानने का हर महिला का अधिकार है|
पहला समान वेतन का अधिकार है| हमारे देश में एक समान कार्य के लिए एक समान वेतन की व्यवस्था है, लेकिन फिर भी एक समान कार्य के लिए पुरुष और महिलाओं के वेतन में अंतर होता है| समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता| समान कार्य के लिए स्त्री पुरुष दोनों को समान वेतन दिया जाना चाहिए| इसका प्रावधान भारतीय संविधान में है|
दूसरा, नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार भी महिलाओं को है| भारत में यौन शोषण के मामले में पीड़िता का नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार होता है| यौन उत्पीड़न के केस में गोपनीयता रखने के लिए महिलाओं के लिए अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज कराने का अधिकार रखती है| पुलिस, मीडिया और अधिकारी को महिला की पहचान जाहिर करने का अधिकार नहीं है|
तीसरा, अधिकार मातृत्व संबंधी लाभ का अधिकार है| इसके अंतर्गत जो महिला नौकरपेशी है उन्हें मातृत्व संबंधी लाभ व सुविधा लेने का अधिकार मिलता है| मातृत्व लाभ अधिनियम के अंतर्गत प्रसव के बाद महिला 6 महीने की छुट्टी ले सकती है और इस दौरान उसके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी| बाद में उसे काम पर लौटने का अधिकार भी रहेगा|
चौथा, मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार है| इसके तहत बलात्कार या यौन शोषण पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार दिया गया है| भारतीय संविधान में पीड़ित महिला थाने में एसएचओ से मदद मांग सकती है और एसएचओ विधिक प्राधिकरण के वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचना देता है|
इसके अलावा रात में गिरफ्तारी से बचने का अधिकार भी महिला को दिया गया है| इसके अंतर्गत किसी भी महिला की गिरफ्तारी सूरज डूबने या शाम होने के बाद नहीं की जा सकती है| महिला का अपराध गंभीर होने या कोई खास मामला होने पर प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश बिना भी पुलिस महिला को शाम से लेकर सूरज निकलने तक गिरफ्तार नहीं कर सकती है|
इन सभी अधिकारों का उल्लेख भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए किया गया है|