एक देश, एक चुनाव को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है| दरअसल, सरकार ने इसकी संभावनाओं पर विचार किया और एक कमेटी का गठन किया है| इस कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया है| कमेटी की सदस्यों पर थोड़ी देर में नोटिफिकेशन जारी होगा| हालांकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल भी उठाएं है|
कांग्रेस ने यह सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है?, पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दो का निवारण होना चाहिए|
चुनाव कराने की वित्तीय लागत, बार-बार प्रशासनिक स्थिरता, सुरक्षा बलों की तैनाती में होने वाली परेशानी और राजनीतिक दलों की वित्तीय लागत को देखते हुए मौजूदा सरकार एक देश, एक चुनाव की योजना पर विचार कर रही है| जिसके तहत सरकार लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ करना चाहती है|
बता दें साल 1951-52 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे| इसके बाद 1957,1962 और 1967 में भी लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक ही साथ हुए थे| बाद में 1968,69 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने और 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग होने से एक साथ चुनाव कराने का चक्र बाधित हो गया| जिस कारण हर साल कहीं न कहीं चुनाव हो रहे होते हैं| ऐसे में सरकार फिर से लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का सोच रही है, जिसको लेकर अब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है| हालांकि सरकार के लिए भी फैसले को लागू करना और इस संबंध में कानून बनाना आसान नहीं होगा क्योंकि एक साथ चुनाव कराने के लिए कई विधानसभाओं के कार्यकाल में मनमाने ढंग से कटौती करनी पड़ेगी, जिसका विरोध होना तय है|