रंग लाई किसानों की मेहनत, रमाड़ी के विलुप्ति की कगार पर पहुंचे संतरों को मिली नई जिंदगी

अल्मोड़ा| जिले का प्रसिद्ध संतरा जिसकी धूम देश की राजधानी दिल्ली तक हुआ करती थी| एक बार फिर लोगों को रसीला स्वाद देगा|


दरअसल, रमाड़ी के उद्यमियों की मेहनत रंग लाई है| रमाड़ी में विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे संतरा को नई जिंदगी मिल गई है| संतरा के बागान फिर फलों से लकदक हो गई है|
बता दें, रमाड़ी का संतरा जिले, कुमाऊं, राज्य ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली तक लोगों की पसंद था| संतरा खरीदने के लिए हल्द्वानी से व्यापारी रमाड़ी गाँव पहुंचने थे| दिल्ली तक रमाड़ी का संतरा भेजा जाता था| रमाड़ी का संतरा बागेश्वर ही नहीं पिथौरागढ़ जिले के लिए नाचनी, थल इलाके में बेचा जाता था|


करीब डेढ़ दशक पहले रमाड़ी के संतरे पर संकट के बादल मंडराए| एक के बाद एक पेड़ सूखने लगे| धीरे-धीरे रमाड़ी का यह प्रसिद्ध संतरा समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया| 8 हजार पेड़ों में से केवल 800 पेड़ रह गए थे|
उद्यान विभाग के संज्ञान में मामला लाया गया| फल उत्पादक भी उजड़े बाग संवारने की मुहिम में जोरशोर से जुटे| इसके लिए विभाग से सहयोग भी मिला| आज यह मेहनत रंग लाई है| नए पौधों ने फल देना शुरू कर दिया है| संतरा के बाग फिर से फलों से लकदक हो गए हैं| रमाड़ी के 128 परिवारों के चेहरे पर संतरा की मिठास फिर खुशी ले आई है|
संतरा के नए पेड़ फल देने लगे हैं| पुराने पेड़ों में से कुछ पेड़ फिर से फल देने लगे हैं| इस बार संतरा में अच्छा फल था| स्थानीय बाजारों में 80 रुपये किलो संतरा बिका| लोग घर से ही संतरा खरीदकर ले गए| एक पेड़ से करीब 4000 रुपये की कमाई हुई| कहां जा रहा है कि कुछ नए पौधे अगले साल तक फल देंगे|