उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों में अब केवल 30 दिनों का ही समय शेष है ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हैं, जहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के पास उत्तराखंड के सत्ता परिवर्तन के रिकॉर्ड को तोड़कर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने की चुनौती है तो वही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास 5 साल का सूखा खत्म करने की चुनौती, वही इस बार मुख्य विपक्षी दल के अलावा दिल्ली राज्य की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी भी उत्तराखंड में ताल ठोक रही है,
भारतीय जनता पार्टी सत्ता में दोबारा वापसी के लिए कई राज्यों का प्रमाणित फार्मूला प्रयोग करने की तैयारी में है दरअसल जिन जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही वहा भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी संख्या में सिटिंग विधायकों के टिकट काटे है, और यह फार्मूला कई राज्यों में सफल भी रहा जिनमें गुजरात और हरियाणा जैसे राज्य शामिल है, संभावना जताई जा रही है कि इंटरनल सर्वे के आधार पर जिन विधायकों की रिपोर्ट खराब है उन्हें पार्टी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी ना बनाकर एंटी इनकंबेंसी के फैक्टर को ध्वस्त करना चाहती है|
उम्र एवं लोकप्रियता ऐसे 2 मापदंड हैं जिनके आधार पर भारतीय जनता पार्टी अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है ऐसे में जिन विधायकों की उम्र अधिक हो गई है उन्हें पार्टी कहीं और एडजस्ट कर नए चेहरों को मौका देने की तैयारी कर रही है, इसके अलावा जिन विधायकों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है उन्हें भी आगामी विधानसभा चुनाव में आराम दिया जा सकता है। एक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 25 से 30 सिटिंग विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दे सकती है, इस जानकारी के सामने आने के बाद कई सिटिंग विधायक दावेदारों में खलबली मची हुई है,
किन किन विधायकों के टिकट कट जाएंगे यह तो आने वाले दिनों में पता चल ही जाएगा मगर भारतीय जनता पार्टी का यह फार्मूला क्या उत्तराखंड में भी कारगर सिद्ध होगा यह देखने वाली बात होगी।
वही पार्टी कुछ सीटों को टारगेट कर उन सीटों पर विशेष तैयारी के साथ उतरने की रणनीति बनाने में जुटी हुई है जिनमें खटीमा, बाजपुर जैसी सीटें भी शामिल है, खटीमा सीट से मौजूदा समय में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी विधायक हैं जबकि बाजपुर से पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए यशपाल आर्य विधायक रहे हैं पार्टी बाजपुर सीट में यशपाल आर्य पर दबाव बनाने की रणनीति पर कार्य कर सकती है जिससे यशपाल आर्य को बाजपुर तक ही सीमित रखा जा सके।