रक्षा विशेषज्ञ रि. ले. जनरल भंडारी ने दिया अग्निपथ मॉडल पर हर सवाल का जवाब

केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद बिहार से लेकर उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों में युवा सड़क पर उतर आए हैं| व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं| आखिर सड़कों पर युवा क्यों आ गए? इस योजना का विरोध क्यों हो रहा है? इन सब सवालों के जवाब रक्षा विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डॉ मोहन चंद्र भंडारी ने खुल कर दिए हैं|
रि. लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी ने कहा कि दक्षिण एशिया में सामरिक स्थिति को देखते हुए भारत में अग्निपथ मॉडल समयानुकूल नहीं लगता| राष्ट्रीय सुरक्षा से हम किसी प्रकार खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं| 4 साल तक अल्पकालीन सेवा करने वाले के भविष्य की सुरक्षा की गारंटी सरकार को करनी होगी|
संविदा के तहत अल्पकालीन सेवा अवधि के लिए जवानों की भर्ती के भारत सरकार के निर्णय के बाद से रक्षा विशेषज्ञ चिंतित हैं| रक्षा विशेषज्ञ सेनि. ले.जनरल डॉ मोहन चंद्र भंडारी ने कहा कि पूरे देश में बेरोजगार सड़कों में है| उत्तराखंड के एक लाख से अधिक जवान वर्तमान में सेना में नौकरी कर रहे हैं| सेना से उत्तराखंड के लोगों का भावात्मक जुड़ाव है| सेना यहां की अर्थव्यवस्था का एक आधार है| अगर स्थाई नियुक्ति खत्म होगी तो, यहां के लोगों का आधार भी छिन जाएगा|
सेना में संविदा की नौकरी करने के 4 साल बाद क्या होगा| इन बेरोजगारों के भविष्य के बारे में कोई स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है| चिंता इसी को लेकर सबसे अधिक है| उन्होंने कहा कि 4 साल बाद सेवा मुक्त होंगे| उसके बाद नौकरी ना मिले तो हताश में शस्त्र संचालन में निपुण ये युवक अपराध की तरफ भी जा सकते हैं| अग्निवीरों के भविष्य की सुरक्षित करने की जिम्मेदारी भी सरकार को लेनी चाहिए|
इन्फेंट्री के लिए तो यह बेहद नुकसानदेह है| उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्वी भारत सब जगह पड़ोसी मुल्क हमारी सीमाओं पर नजर गड़ाए हुए हैं| भारत की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा नाजुक दौर में है| इस समय इस तरह का निर्णय समयानुकूल नहीं है| अगर पड़ोसी देश ठीक होते तो किसी भी तरह का प्रयोग किया जा सकता था|
उन्होंने कहा कि अगर बात और किसी भी जवान को मोटिवेशन लेवल पाने के लिए समय लगता है| 4 साल में वह क्या कर पाएगा| भारत की सैनिक भर्ती प्रमाणित है, इसमें किसी प्रकार का बदलाव काफी सोच समझकर किए जाने की आवश्यकता है| यह योजना फिलहाल न तो नौजवानों के लिए हित में है और न ही भारत के लिए हित में है|
करीब 2 साल पहले सेना में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी| हजारों अभ्यर्थियों ने शारीरिक और मेडिकल की परीक्षा उत्तीर्ण की| जिनकी अब लिखित परीक्षा होनी शेष थी| कोरोना महामारी के कारण सेना यह भर्ती संपन्न नहीं करा पाई| सेना ने हमेशा उनको जल्दी भर्ती का आवाहन दिया था| जिससे देश के लाखों युवाओं का भविष्य अधर में लटका रहा| भर्ती के लिए युवा पहले से आंदोलन कर रहे थे| भर्ती रद्द कर सरकार ने जब अग्निपथ योजना लागू की तो बेरोजगारों में खासा गुस्सा फूट पड़ा| यही लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ उग्र आंदोलन कर रहे हैं|