बागेश्वर:- मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वाधान में गागरीगोल स्थित तारा दत्त कांडपाल के निवास स्थान पर आयोजित किया गया सत्संग

गरुड़ (बागेश्वर) । मानव उत्थान सेवा समिति बागेश्वर के तत्वावधान में भौरा गागरीगोल स्थित तारा दत्त काण्डपाल के निवास स्थान पर वृहद सत्संग का आयोजन किया गया।
सत्संग की शुरुआत में भजन कीर्तनों के माध्यम से पूरे माहौल को भक्ति मय बनाया गया। सत्संगी तारा दत्त काण्डपाल ने सभी भगवत प्रेमियों को अवगत कराया गया कि हर महिने के पहली तारीख को आज के बाद सत्संग का आयोजन यहीं पर किया जायेगा। बैजन्ती माई ने सत्संग में प्रेरक प्रसंग के जरिए उपस्थित भगवत प्रेमियों को अवगत कराया कि जब शिशु मां के गर्भ में रहता हें तो वह ईश्वर से बार-बार प्रार्थना करता हैं कि हे प्रभु मुझे अतिशीघ्र इस नरक से बाहर निकाल दे और जब बाहर आ जाता है तो वाह-वाह कह कर सबकुछ भूल जाता हैं। पूरे जीवनकाल में अपने ही कार्यों में लीन रहता है जबकि वह सांसारिक बन्धनों में अपने आप को खो देता है।


मानव सेवा उत्थान समिति भटके हुए मानव समाज को जागृत करने का काम किया करती हैं। जिसका उद्देश्य मानव का उत्थान करना है।इसके लिए सत्संगी होना जरुरी है।
बिना गुरु ज्ञान के मानव सत्संगी नहीं हो सकता। गुरु ही उसके सच्चे मार्ग दर्शक होते हैं अतएव जिस पर गुरु की कृपा दृष्टि हो जाती है। वह अपने आप को खो कर मानव समाज के उत्थान में जुट जाता हैं।
सुमिता बाई ने अपने प्रवचनों में ईश्वर के प्रति आस्थावान होना जरुरी बताया। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में प्रतिदिन अपने कार्यों की विवेचना करना आवश्यक है कि हमारे द्वारा अपने कार्यों के बीच उस भगवान का कितनी बार सुमिरन किया गया है। जिसकी महान कृपा से हम इस संसार में आये हैं।ईश्वर ने अपनी अदभुत कलाओं से इस समस्त संसार को संयोजा है क्या हमने कोशिश की कि उसकी बनाई गयी कलाओं को गहराई से देखने सोचने की। मानव उत्थान सेवा समिति सत्संगों के माध्यम से भगवत प्रेमियों को प्रेरित करती हैं कि किस प्रकार से मानव उत्थान के कार्य कर सकते हैं। इसके लिए सदगुरु की कृपा होना आवश्यक है।
सत्संग में लीलाधर काण्डपाल, विनोद काण्डपाल,शीतल सिंह थायत, दुर्गा दत्त नैनवाल, उमेश काण्डपाल, चिन्तामणी जोशी,पुष्पा काण्डपाल, रेवती देवी,भगवती देवी,तारा देवी, गंगा देवी,पानुली देवी, आदि ने सामूहिक तौर पर भजन कीर्तनों का गायन कर पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। समापन के अवसर पर सत्संगी तारा दत्त काण्डपाल ने सभी भागवत प्रेमियों का आभार जताया।