बागेश्वर – घर -परिवार, विद्यालयों में कुमाऊनी भाषा में हो व्यवहार….

बागेश्वर । कुमाऊनी भाषा सांस्कृतिक एवं साहित्यिक प्रचार समिति के जिला संयोजक वृक्ष मित्र किशन सिंह मलड़ा के संयोजन में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर परआयोजित एक विचार गोष्टी में सभी विद्वानों ने एकमत होकर कहा कि जब तक घर-परिवार, विद्यालयों में कुमाऊनी भाषा को व्यवहार में नहीं लाया जा सकता है तब तक हमारी भाषा, हमारी संस्कृति को बचाना मुश्किल है। कुमाऊनी भाषा एवं संस्कृति को बचाने के लिए हमें घर-परिवार एवं विद्यालयों में कुमाऊनी भाषा को व्यवहार में लाना होगा।
वृक्ष मित्र किशन सिंह मलड़ा ने अपने सम्बोधन में कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी संस्कृति -भाषा एवं पर्यावरण के संरक्षण को आगे आए। कुमाऊनी भाषा लिखने -पढ़ने में काफी आसान और सरल है।राज्य की अपनी पहिचान भाषा संस्कृति ही तो हैं। राज्य के सभी विद्वानों को मिलकर एक राय बनानी चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में भगवान बुद्ध की प्रतिमा को माल्यार्पण किया गया।
विचार गोष्टी में शैलेन्द्रसिंह चौहान, रमेश चौबे,देबकी मलड़ा,किशन सिंह,रमा मलड़ा,ममता, दिया विष्ट,भजन सिंह, वीरेंद्र सिंह,वैभव,मानस रौतेला,प्रिया,डा,केवलानन्द काण्डपाल,मनीषा आदि ने अपने -अपने बिचार व्यक्त किये। अध्यक्षता रमेश प्रकाश पर्वतीय ने की।