
उत्तराखंड राज्य में मानसून आगमन के बाद से ही पर्वतीय जिलों के गांवों की समस्याएं लगातार बढ़ रही है और मानसून सत्र गांवों के लिए आफत बनकर आता है। बता दें कि 3 माह तक सड़क, रास्ते और बिजली तथा पानी पर संकट बना रहता है। आपदाग्रस्त गांवों का हाल सबसे बुरा रहता है यही नहीं बल्कि कुछ गांवों के लोग खतरे के डर से रात जागकर बिताते हैं और वर्षा होती है तो लोग कांप उठते हैं। बता दें कि बागेश्वर में आपदा ग्रस्त 25 गांवों के 683 परिवारों की सूची जिला प्रशासन ने तैयार की है लेकिन अभी तक उनके पुनर्वास के लिए कोई ऐतिहासिक कदम नहीं उठाया गया है। उनकी दृष्टि से हिमालयी गांवो में रातभर वर्षा हो रही है जिससे प्राकृतिक आपदा का डर है। 25 गांवों के 683 परिवार रात भर आसमान ताकते रहते हैं जिसमें अत्यधिक संवेदनशील जोन में 126 परिवार शामिल है वही अधिक संवेदनशील श्रेणी में 6 परिवारों को रखा गया है। 225 परिवार संवेदनशील श्रेणी में है और 4 परिवारों के लिए चयनित भूमि का भूगर्भीय सर्वेक्षण हो सका है और इन ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था वर्षा काल में भगवान के भरोसे चल रही है। बता दें कि दुग नाकुरी के जारती गांव के 10 परिवारों पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है और इन परिवारों की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। आपदा ग्रस्त गांवों पर प्रशासन की नजर तो है लेकिन अभी तक यहां पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो पाई है।
